Monday, March 25, 2024
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लखनऊ के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में पैसे न हो तो नहीं होगा आपका इलाज

SI News Today

If you do not have money, your treatment will not be in Ram Manohar Lohia Hospital in Lucknow.

#Lucknow #RMLhospital

लखनऊ.
राम मनोहर लोहिया संयुक्त चिकित्सालय का Dr. Ram Manohar Lohia Institute of Medical Sciences (RMLIMS) में विलय होने जा रहा है. उत्तर प्रदेश सरकार की मंशा मरीजों को इस अस्पताल में उच्च गुणवत्ता की मशीनो के साथ साथ उच्च गुणवत्ता के नर्सिंग एक्सपीरियंस देना है. राजधानी के प्रत्येक सरकारी अस्पतालों को इस तरह से अपग्रेड कर उनके व्यवस्थाओं में सुधार लाने का प्रयास किया जा रहा है.

मगर इसके उलट यदि उत्तर प्रदेश सरकार अपनी मंशा को जमीनी हक़ीक़त पर लाना भी चाहे तो उनके अपने ही कर्मचारी उस पर पानी फेरने को उतारू हैं. दरअसल हमारे संवादाता ने जब सरकार की इस पहल का जायजा लेने का निर्णय लिया तो सबसे पहले गोमती नगर लखनऊ स्थित राम मनोहर लोहिया संयुक्त चिकित्सालय से इसकी शुरुआत की. इसमें काफी चौकाने वाली बातें भी सामने आयीं.

यहाँ जिले के आस-पास इलाकों के अलावा बाराबंकी और सीतापुर जिलों से भी काफी मरीज अपना इलाज करने इस चिकित्सालय में आते हैं, जिसकी वजह से यहाँ काफी भारी भीड़ रहती है. और यही भीड़ इस चिकित्सालय के कर्मचारियों को पैसा बनाने की मशीन सी लगती है. होता ये है कि आपको पर्चा बनवाना है या फिर डॉक्टर को जल्दी दिखाना है. एक बंदा आपके साथ लगा दिया जायेगा और काम होने के बाद उसको कुछ पैसा देना होता है. यदि आपको कोई जाँच करवानी है या फिर दवाई लेनी हो तो उसकी अंदर से लेकर बाहर की दुकानों तक सेटिंग है. हर तरफ कमीशन का खेल एकदम खुला चलता है.

इसमें कर्मचारी तो शामिल हैं ही डॉक्टरों की भी मिलीभगत रहती है. जब हमारे संवादाता ने और पड़ताल की तो परत दर परत सबकी कलाई खुलती नज़र आयी कि कैसे गरीब मरीज़ो के साथ गन्दा खेल खेला जा रहा है. उनके लूटखसोट कि जा रही है, उन्हें लग ही नहीं पाता कि ये सब बातें अस्पताल का हिस्सा है ही नहीं.

हमारी जाँच पड़ताल अभी चल रही है और आने वाले दिनों में इन सरकारी अस्पतालों की काली और भयानक तस्वीरों के सामने का अंदेशा भी है, जो इस बात की गवाह होंगी कि क्यों स्वास्थ्य जैसी मूलभूत आवश्यकता गरीब लोगो के वश से बाहर होती जा रही है और इन सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था चरमरा रही है. दुःख इस बात का होता है कि सरकार अगर व्यवस्था बदल भी दे तो मगर व्यवस्थापक तो वही रहेंगे जो अपने ही देश को खोखला करने में लगे है.

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