Friday, March 29, 2024
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डॉ. लोहिया हॉस्पिटल में समय पर ऑक्सीजन न मिलने पर पेशेंट की मौत…

SI News Today

लखनऊ: राजधानी में शनिवार को डॉ. लोहिया हॉस्पिटल में समय पर ऑक्सीजन न मिलने पर एक पेशेंट की मौत हो गई। परिजन 5 मिनट तक वार्ड ब्वॉय के आगे गिड़गिड़ाते रहे, लेकिन उसने एक न सुनी। बिना ऑक्सीजन मास्क के पेशेंट को इमरजेंसी से वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया। इसके चलते उसकी डेथ हो गई। अचानक पड़ा अस्थमा का अटैक …

– घटना राजधानी के सबौली क्षेत्र की है। यहां राम चन्द्र (62) बेटे घनश्याम और पूरी फैमिली के साथ रहता है।

– बेटे के मुताबिक, ”सुबह करीब 8 बजे बेटा पिता को सांस लेने में प्रॉब्लम होने लगी। तभी 11 सौ रु. में ऑक्सीजन सिलेंडर से लैस प्राइवेट एम्बुलेंस बुककर लोहिया हॉस्पिटल पहुंचे।”

– ”हॉस्पिटल पहुंचते ही स्ट्रेचर से इमरजेंसी के अंदर पहुंचे। ईएमओ डॉ. राहुल कुमार ने अटेंड किया। कुछ देर बाद एक वार्ड ब्वॉय आया और वो पिता को दूसरे वार्ड में शिफ्ट करने लगा।”

– ”पूछने पर बताया कि पेशेंट को वार्ड में एडमिट करना है। डॉ. वहीं पर आकर उसे देखेंगे।”

5 मिनट तक गिड़गिड़ातेरहे परिजन नहीं मिला ऑक्सीजन
– परिजनों का आरोप है, ”मिनटों तक हम मिन्नतें करते रहे, लेकिन वार्ड शिफ्टिंग के दौरान पिता को ऑक्सीजन मास्क नहीं लगाया गया। जबकि हॉस्पिटल में ऑक्सीजन सिलेंडर मौजूद था।”

– ”इमरजेंसी से पेशेंट को लेकर वार्ड में चला गया। इसी वजह से पिता की मौत हुई है। अगर टाइम रहते ऑक्सीजन प्रोवाइड कराया गया तो उनकी जान बच सकती थी।”

क्या है लोहिया हॉस्पिटल का पक्ष ?
– डॉ. राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल के चिकित्सक अधीक्षक डॉ. एम एल भार्गव के मुताबिक, ”पेशेंट की हालत पहले से ही क्रिटिकल थी। उसे वार्ड में शिफ्ट किया जा रहा था। तभी अस्थमा का अटैक आने पर उसकी डेथ हो गई। उसके साथ किसी तरह की लापरवाही नहीं बरती गई है।”

स्वास्थ्य विभाग का पक्ष ?
– यूपी के प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य प्रशांत त्रिवेदी के मुताबिक, ”लोहिया हॉस्पिटल में पेशेंट की मौत के बारे में मुझें अभी कोई जानकारी नहीं है। इस बारे में हॉस्पिटल के डायरेक्टर से पूछताछ की जाएगी।”

350 वार्ड ब्वॉय संभाल रहे 11 हॉस्पिटल्स की जिम्मेदारी
– लखनऊ में सिविल, लोहिया, बलरामपुर, लोकबन्धु राजनारायण हॉस्पिटल, भाऊ देवरस, रानी लक्ष्मी बाई सहित 6 कम्बाइंड हॉस्पिटल्स और डफरिन, झलकारीबाई, सिल्वर जुबली, अलीगंज मदर चाइल्ड, चौपड़ मदर चाइल्ड समेत 5 वुमन हॉस्पिटल हैं।

– वहीं, राजधानी से सटे इलाके में 8 सीएचसी और 9 पीएचसी संचालित हो रही है। लोहिया में 80, सिविल में 55, बलरामपुर में 60, डफरिन में 30, झलकारीबाई में 20, सिल्वर जुबली में 10, चौपड मदर चाइल्ड में 10, अलीगंज मदर चाइल्ड में 10, लोकबन्धु में 35, रानी लक्ष्मीबाई में 30 के करीब वार्ड ब्वॉय है।

– इन सभी हॉस्पिटल्स में डेली 12 सौ से 15 सौ नए पेशेंट एडमिट होते है। इमरजेंसी से वार्ड में पेशेंट को शिफ्ट करने की पूरी जिम्मेदारी 350 वार्ड ब्वॉय के जिम्मे होती है।

1 साल से नहीं दी गई वार्ड ब्वॉय को ट्रेनिंग
– स्वास्थ्य भवन से जुड़े एक सीनियर अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, ”लखनऊ में एक दो हॉस्पिटल्स को छोड़कर बाकी किसी में वार्ड ब्वॉय को पिछले 1 साल से कोई ट्रेनिंग नहीं दी गई है।”

– ”कायाकल्प और ऑपरेशन क्लीन ग्रीन के नाम पर कुछ हाॅस्पिटलों में पैरामेडिकल स्टाफ को पिछले साल ट्रेनिंग दी गई थी, लेकिन वार्ड ब्वॉय को इस ट्रेनिंग से दूर रखा गया था।”

– ”कुछ ऐसे भी हैं, जहां 10 सालों से भी ज्यादा वार्ड ब्वॉय को ट्रेनिंग नहीं मिली है। उन्हें यह भी नहीं पता कि इमरजेंसी में पेशेंट को हैडल कैसे करना है।”

– वहीं, हाॅस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन कर्मचारियों की कमी और पेशेंट के बढ़ते बोझ का हवाला देकर ठेका कम्पनियों से अनट्रेंड स्टाफ लेकर उनसे काम ले रहा है।

क्या कहता है मेडिकल एथिक्स ?
– डॉ. राम मनोहर लोहिया हाॅस्पिटल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एम एल भार्गव और ट्रामा सेंटर के ईएमओ डॉ. धीरेन्द पटेल के मुताबिक, ”अगर कोई पेशेंट इमरजेंसी में आता है तो उसका प्रापर चेकअप होना चाहिए। उसके बाद उसकी रिपोर्ट तैयार होनी चाहिए।”

– ”पेशेंट को इमरजेंसी से वार्ड शिफ्ट करते समय मौके पर डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ या ट्रेंड वार्ड ब्वॉय उसके साथ मौजूद होना चाहिए।”

– ”अगर पेशेंट की कंडीशन खराब है या उसे ऑक्सीजन की जरुरत है तो साथ में सिलेंडर होना चाहिए। इमरजेंसी में अनट्रेंड वार्ड ब्वॉय की ड्यूटी नहीं लगनी चाहिए।”

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