Saturday, April 20, 2024
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हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग से AAP विधायकों की अयोग्यता पर मांगा जवाब…

SI News Today

दिल्ली उच्च न्यायालय ने निर्वाचन आयोग (ईसी) को एक हलफनामा दायर कर लाभ के पद पर रहने वाले 20 आप विधायकों को अयोग्य ठहराने के उसके फैसले के तथ्यात्मक पहलुओं को बताने के लिये कहा. न्यायमूर्ति संजीव खन्ना एवं न्यायमूर्ति चंद्र शेखर की खंडपीठ ने चुनाव पैनल को हलफनामा दायर करने के लिये कहा. इससे पहले चुनाव आयोग ने कहा था कि दिल्ली विधानसभा से अपनी अयोग्यता को चुनौती देने वाली विधायकों की याचिका में लगाये गये कुछ आरोपों पर वह जवाब देना चाहता है.

आयोग ने अदालत को यह भी बताया कि यह संसदीय सचिवों के तौर पर नियुक्त 20 आप विधायकों को अयोग्य ठहराने के संबंध में राष्ट्रपति को दी गई अपनी राय पर विश्वास करेगा.संक्षिप्त कार्यवाही के बाद अदालत ने मामले में अगली सुनवाई के लिये सात फरवरी की तारीख तय की. तब तक विधायकों को ईसी के हलफनामे पर अपना अपना जवाब दाखिल करना होगा.

बहरहाल अदालत ने विधायकों के अयोग्य ठहराये जाने के कारण खाली हुए विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव की घोषणा को लेकर किसी तरह की अधिसूचना जारी करने से ईसी पर रोक लगाने वाली एकल न्यायाधीश के 24 जनवरी के अंतरिम आदेश की समय सीमा तब तक के लिये आगे बढ़ा दी.वकील प्रशांत पटेल ने मामले को सुनवाई के लिये खंडपीठ के समक्ष भेजे जाने का अनुरोध करते हुए अर्जी दी थी जिसके बाद कल इसे खंडपीठ के समक्ष भेजा गया था. पटेल की अर्जी पर ईसी ने विधायकों को अयोग्य ठहराने की सिफारिश की थी, जिस पर राष्ट्रपति ने भी अपनी स्वीकृति दे दी थी.

चुनाव आयोग द्वारा जिन आप विधायकों को अयोग्‍य घोषित किया गया है, उनके नाम इस प्रकार हैं…

शरद कुमार (नरेला विधानसभा)
सोमदत्त (सदर बाजार)
आदर्श शास्त्री (द्वारका)
अवतार सिंह (कालकाजी)
नितिन त्यागी (लक्ष्‍मी)
अनिल कुमार बाजपेयी (गांधी नगर)
मदन लाल (कस्‍तूरबा नगर)
विजेंद्र गर्ग विजय (राजेंद्र नगर)
शिवचरण गोयल (मोती नगर)
संजीव झा (बुराड़ी)
कैलाश गहलोत (नजफगढ़)
सरिता सिंह (रोहताश नगर)
अलका लांबा (चांदनी चौक)
नरेश यादव (महरौली)
मनोज कुमार (कौंडली)
राजेश गुप्ता (वजीरपुर)
राजेश ऋषि (जनकपुरी)
सुखबीर सिंह दलाल (मुंडका)
जरनैल सिंह (तिलक नगर)
प्रवीण कुमार (जंगपुरा)

क्या है मामला
आप पार्टी की दिल्ली सरकार ने मार्च 2015 में 21 विधायकों को संसदीय सचिव के पद पर नियुक्त किया था. इसे लाभ का पद बताते हुए प्रशांत पटेल नाम के वकील ने राष्ट्रपति के पास शिकायत की थी. पटेल ने इन विधायकों की सदस्यता खत्म करने की मांग की थी. हालांकि विधायक जनरैल सिंह के पिछले साल विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद इस मामले में फंसे विधायकों की संख्या 20 हो गई है.

केंद्र ने जताई थी आपत्ति
दूसरी तरफ, केंद्र सरकार ने विधायकों को संसदीय सचिव बनाए जाने के फैसले का विरोध करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में आपत्ति जताई. केंद्र सरकार ने कहा था कि दिल्ली में सिर्फ एक संसदीय सचिव हो सकता है, जो मुख्यमंत्री के पास होगा. इन विधायकों को यह पद देने का कोई संवैधानिक प्रावधान नहीं है. संविधान के अनुच्‍छेद 102(1)(A) और 191(1)(A) के अनुसार संसद या फिर विधानसभा का कोई सदस्य अगर लाभ के किसी पद पर होता है तो उसकी सदस्यता रद्द हो सकती है. यह लाभ का पद केंद्र और राज्य किसी भी सरकार का हो सकता है.

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