Friday, March 29, 2024
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सुप्रीम कोर्ट ने चार हफ्ते में मांगी पनामा कांड की जांच रिपोर्ट

SI News Today

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को मंगलवार को निर्देश दिया कि पनामा दस्तावेज कांड की जांच के लिए गठित बहु-एजंसी समूह (मैग) की सभी छह रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में पेश की जाए। न्यायमूर्ति दीपक मिश्र, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति एमएम शांतानागौडर की खंडपीठ ने यह निर्देश उस वक्त दिया जब केंद्र ने उसे सूचित किया कि बहु-एजंसी समूह ने अपनी जांच की छठी रिपोर्ट पूरी कर ली है। सरकार सारी रिपोर्ट अदालत के समक्ष पेश करने के लिए तैयार है। पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘हम केंद्र सरकार को सभी छह रिपोर्ट चार हफ्ते में सीलबंद लिफाफे में पेश करने का निर्देश देते हैं।’ पनामा प्रकरण की जांच के लिए केंद्र सरकार ने बहु-एजंसी समूह गठित किया था। इसमें केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड, भारतीय रिजर्व बैंक, प्रवर्तन निदेशालय और आर्थिक गुप्तचर इकाई को शामिल किया गया था। केंद्र की ओर से महान्यायवादी रंजीत कुमार ने कहा कि पीठ को पहले इन रिपोर्ट का अवलोकन करना चाहिए। इसके बाद ही उसे इन्हें याचिकाकर्ता के साथ साझा करने या नहीं करने के बारे में निर्णय लेना चाहिए।

इससे पहले, याचिकाकर्ता वकील मनोहर लाल शर्मा ने कहा कि ये रिपोर्ट उन्हें भी मिलनी चाहिए ताकि वे इस मामले में आगे बहस कर सकें। इसके बाद ही महान्यायवादी ने अदालत को यह जानकारी दी। मामले की सुनवाई शुरू होते ही शर्मा ने दलील दी कि सरकारी एजंसियां सही तरीके से इस मामले की जांच नहीं कर रही हैं। उन्होंने महत्त्वपूर्ण तथ्य शीर्ष अदालत से छिपाए हैं। इस पर पीठ ने सवाल किया, ‘आप यह कैसे कह सकते बाकी हैं कि वे जांच नहीं कर रहे हैं।’ उन्होंने बताया है कि वे मामले की जांच कर रहे हैं और जब प्रतिवादियों ने यह रुख अपनाया है कि वे जांच कर रहे हैं तो इस चरण में हम कुछ कैसे कह सकते हैं?  शीर्ष अदालत ने पिछले साल 24 नवंबर को बाजार नियामक सेबी की अर्जी पर याचिकाकर्ता से जवाब-तलब किया था। सेबी का कहना था कि विदेशों में कथित रूप से बैंक खाते रखने वाले जिन भारतीयों के नामों का पनामा दस्तावेज में उल्लेख है उनके खिलाफ अदालत की निगरानी में सीबीआइ जांच के लिए दायर जनहित याचिका में उसे एक पक्षकार के रूप में घसीटा गया है। केंद्र ने इस याचिका को खारिज करने का अनुरोध करते हुए कहा था कि पनामा दस्तावेज में जिन भारतीयों के नाम सामने आए हैं, उनके खिलाफ त्वरित और समन्वित तरीके से जांच सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने पहले ही बहुएजंसी समूह गठित कर दिया है।

इस मामले में बहुएजंसी समूह शीर्ष अदालत की ओर से कालेधन के मामले में न्यायमूर्ति एमबी शाह की अध्यक्षता में नियुक्त विशेष जांच दल पांच रिपोर्ट और काले धन से संबंधित प्रकरण की सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट की पीठ को सीलबंद लिफाफे में सौंप चुका है। केंद्र ने तीन अक्तूबर 2016 को अदालत को सूचित किया था कि भारतीय नागरिकों द्वारा गैरकानूनी तरीके से विदेशी बैंकों में रखे गए 8, 186 करोड रुपए की रकम स्विस प्राधिकारियों द्वारा सूचना साझा नहीं करने जैसी समस्याओं के बावजूद कर के दायरे में लाई जा चुकी है।

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