Thursday, April 25, 2024
featuredदेश

पहली बार हाईकोर्ट के वर्तमान जज सीएस करनन के खिलाफ जारी हुआ वारंट, जाने क्या है मामला

SI News Today

सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस CS करनन के खिलाफ जमानती वारंट जारी किए हैं और 10 हजार का पर्सनल बॉन्ड भी भरने के आदेश दिए हैं. पश्चिम बंगाल के डीजीपी को वारंट की तामील कराने को कहा है. 31 मार्च को जस्टिस करनन को सुप्रीम कोर्ट में पेश होने के आदेश दिए गए हैं. जस्टिस करनन नेअवमानना के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद न तो पेश हुए और न ही कोई जवाब दिया. CJI खेहर ने कहा कि जस्टिस करनन ने 8 मार्च को सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री में फैक्स भेजकर चीफ जस्टिस और जजों से मीटिंग की अपील की थी, लेकिन इसे जवाब नहीं माना जा सकता. फैक्स में जस्टिस करनन ने यह भी कहा कि उन्हें प्रशासनिक कामों की इजाजत दी जाए. वहीं AG ने कहा कि वह आदेश के बावजूद नहीं आए इसलिए उनके खिलाफ जमानती वारंट जारी किए जाने चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की संविधान पीठ कलकत्ता हाईकोर्ट के जज जस्टिस करनन पर अदालत की अवमानना मामले की सुनवाई कर रही है. पिछली सुनवाई में नोटिस के बावजूद जस्टिस करनन सुप्रीम कोर्ट में पेश नहीं हुए थे और सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट में पेश होने के लिए तीन हफ्तों का वक्त दिया था. साथ ही जस्टिस करनन को कोई भी न्यायिक या प्रशासनिक काम करने पर रोक लगा दी थी.

मामले की सुनवाई के दौरान AG मुकुल रोहतगी ने जस्टिस करनन के सुप्रीम कोर्ट को लिखी चिट्ठी पर सवाल उठाए थे. उन्होंने कहा था कि जस्टिस करनन ने सुप्रीम कोर्ट पर ही आरोप लगाए हैं, जो गंभीर हैं. उन्होंने कहा है कि दलित होने की वजह से निशाना बनाया जा रहा है इसलिए सुप्रीम कोर्ट को कार्रवाई करनी चाहिए ताकि आम लोगों में न्यायपालिका पर भरोसा बना रहे.

दरअसल 23 जनवरी को जस्टिस करनन ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के वर्तमान 20 जजों की लिस्ट भेजी थी और भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए जांच की मांग की थी. कोर्ट ने इस पर संज्ञान लेते हुए जस्टिस करनन को अवमानना नोटिस जारी किया था. 9 फरवरी को कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस सीएस करनन ने सुप्रीम कोर्ट से अवमानना नोटिस जारी होने के बाद इस कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को खत लिखा है. इस खत में कहा गया है कि हाई कोर्ट के सिटिंग जस्टिस के खिलाफ कार्यवाही सुनवाई योग्य नहीं है. जस्टिस करनन ने यह भी कहा मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस जगदीश सिंह खेहर के रिटायरमेंट के बाद होनी चाहिए. अगर बहुत जल्दी हो तो मामले को संसद रेफर किया जाना चाहिए. इस दौरान न्यायिक और प्रशासनिक कार्य वापस दिए जाने चाहिए. चीफ जस्टिस जे एस खेहर की अगुआई वाली 7 जजों की बेंच पर सवाल उठाते हुए जस्टिस करनन ने उस पर दलित-विरोधी होने का आरोप लगाया है. करनन ने अप्रत्यक्ष रूप से सुप्रीम कोर्ट पर दलित-विरोधी होने का आरोप लगाते हुए उनके केस को संसद रेफर करने के लिए कहा है. न्यायपालिका के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है जब हाई कोर्ट के सिटिंग जज को सुप्रीम कोर्ट के 7 जजों की बेंच ने अवमानना नोटिस जारी किया है.

SI News Today

Leave a Reply