Friday, March 29, 2024
गोण्डामेरी कलम से

।। पिटते जवान और जलता कश्मीर।।

SI News Today

जनवरी 2013 लांस नायक हेमराज और लांस नायक सुधाकर सिंह के छतिग्रस्त शव मिलने के बाद एक एक हिंदुस्तानी की रूह काँप गयी खून खौल उठा,भारतीय जनता पार्टी ने इस मामले को सरकार की लाचारी और सड़ी विदेशनीति बताते हुए 2014 में लोकसभा चुनाव लड़ा। पुरे भारत वासियों को लगा अब आ गयी ऐसी सरकार जो पकिस्तान को करार मुंह तोड़ जवाब देगी और कश्मीर को फिर से जन्नत की तरह गुलज़ार करेगी।हमारे प्रधानमंत्री जी की बातें और हाव भाव से लगा भी की है एक प्रधानमंत्री जो नवाज़ के घर तक पहुँच गया और अब शांति स्थापित होती प्रतीत हो रही है।अभी प्रधानमंत्री जी को पाकिस्तान से वापस आये एक हफ्ता भी नहीं हुआ की पाकिस्तान ने पठानकोट हमले के रूप में एक रिटर्न गिफ्ट भेजा। तमाम बातें हुयी पक्ष विपक्ष संसद में हंगामा करते रहे। तभी उरी ने हमको फिर से झकझोरा। खून के घुट पीने की आदत सी बनती जा रही थी,की इसी बीच एक ऐसा कारनामा हुआ के पकिस्तान ही नहीं कुछ विरोधाभासी भारतीय भी भौचके रह गए।सर्जिकल स्ट्राइक एक ऐसा शब्द जिस पर काफी दिन बहस चली।हमे लगा पकिस्तान अब हद में रहेगा हमारे सैनिक अपना सर गर्व से ऊंचा करके सीमा पर खड़े देश की सुरक्षा करते रहे। हम बाहर जा कर तो अपनी वीरता का प्रदर्शन तो कर रहे लेकिन घर के चंद पत्थर बाजों से सर फोड़वाते रहे,और जब पत्थर बाजों को सबक सिखाया तो कुछ लोग जो निरंतर आतंकवादियों और देश विरोधी शक्तियों का समर्थन कर खुद को बुद्धिजीवी और मानवतावादी बताते हैं उन्होंने भारतीय जवानो को कठघरे में खड़ा कर दिया। पैलेट गन का विकल्प ढूँढने को माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने कहा। आज का एक वायरल विडियो देखा एक जवान को कैसे लोग सड़कों पर पीट रहे।वो लात जवान पर नहीं,135 करोड़ भारत वासियों पर है,ये बेज्जती किसकी है।7% वोटिंग की विफलता पर कौन जिम्मेवार होगा। क्या हम केवल बातें करेंगे और कूटनीति बनायेंगे। सेना हमारा गौरव हैं वह हमारे तन की ही नहीं हमारे आत्मसम्मान की भी रक्षा करती है। उसकी ये दुर्दशा आखिर इनका ज़िम्मेदार कौन? मै माननीय सर्वोच्च न्यायालय से पूछता हूँ,की हम तो पैलेट गन का विकल्प ले आयेंगे लेकिन हमारे जवानों के लुट रहे आत्मसम्मान का विकल्प कहाँ से आप दोगे।हमने सरबजीत सिंह को 2013 में खोया और तत्कालीन सरकार को कठघरे में खड़ा किया।आज कुलभूषण जाधव पर इस सरकार की प्रतिष्ठा लगी है। डिजिटल इंडिया और कैशलेस करने के चक्कर में कहीं हम बड़ी समस्याएं नज़रन्दाज तो नहीं कर रहे।कश्मीर समस्या केवल पैलेट गन और पत्थरबाज ही नहीं हैं। आखिर क्यूँ हमारा तंत्र इतना विफल है की उस पार रहने वाला दुनिया का सबसे जाहिल देश हमारे यहाँ के लोगों को गुमराह कर रहा है। क्या विपछ में बैठ कर ही हर मामलों को निपटाने की डींगे मरना आसान है। हमे समझना चाहिए”गो इंडिया गो बैक”का नारा कोई भी लगाये चाहे वो दिल्ली में हो या कश्मीर में वो देश का दुश्मन होगा। उसके साथ सलूक भी आतंकवादियों जैसा होना चाहिए।अगर सरकार अब भी कश्मीर के मुद्दे को केवल बातचीत से हल करना चाहती है,तो अब व्याकुलता की हदें पार हो गयी हैं,और सब्र की किताब के शब्दकोष ख़त्म हो गए हैं।। सरबजीत का दर्द तो सह गए अब कुलभूषण का नहीं सह पाएंगे।।

SI News Today
Pushpendra Pratap singh

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