Friday, March 29, 2024
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असम की विधान सभा में साइकिल पर 18 वर्षीय भाई का शव लेकर जाते शख्स की तस्वीर सामने आई

SI News Today

अपनी पत्नी का शव कंधे पर लेकर जाते ओडिशा के आदिवासी दाना मांझी की तस्वीर ने पूरी दुनिया को हिला दिया था। अब असम के मुख्यमंत्री सरबानंद सोनोवाल के विधान सभा क्षेत्र की ऐसी ही सिहरा देने वाली तस्वीर सामने आयी है। तस्वीर में एक व्यक्ति अपने 18 वर्षीय भाई का शव साइकिल पर ले जाकर जा रहा है क्योंकि सड़क ऐसी नहीं थी कि गाड़ी जा सके। ये घटना मजुली विधान सभा की है जहां से सोनोवाल विधायक हैं। असम के स्थानीय चैनल पर मंगलवार को इस तस्वीर के सामने आते ही सीएम सोनोवाल ने मामले की जांच के आदेश दे दिए और राज्य के उच्च पदस्थ स्वास्थ्य अधिकारियों को मौके पर पहुंचने का निर्देश दिया।

स्थानीय अधिकारियों के अनुसार मृतक लखीमपुर जिले के बालिजान गांव का रहने वाला है और उसका गांव अस्पताल से करीब आठ किलोमीटर दूर है। मृतक के भाई ने अस्पताल के वैन ड्राइनवर का इंतजार नहीं किया और अपने भाई का शव लेकर चला गया। मजुली के डिप्टी कमिश्नर पीजी झा ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “हमें पता चला है कि वह व्यक्ति लखीमपुर जिले का है। उसके परिजनों ने उसे गारामुर सिविल अस्पताल में लाए जो पास है। ऐसा लगता है कि उसके गांव बालीजान में गाड़ी जाने लायक सड़क नहीं है और उन्हें गारामुर मेन रोड तक पहुंचने के लिए बांस के अस्थायी पुल से गुजरना होता है।”

बताया जा रहा है कि डिंपल दास को जिला अस्पताल में सोमवार दोपहर करीब 3.30 बजे छह लोगों द्वारा लाया गया था। डॉक्टरों द्वारा मुआयना किए जाते समय ही दास का निधन हो गया। झा के अनुसार, “वो मरीज को साइकिल पर लाए थे। श्वास संबंधी तकलीफ के बाद उसकी मृत्यु हो गयी तो वो उसके शव को साइकिल पर बांध कर ले गये।”

सिविल अस्पताल के सुपरिटेंडेंट माणिक मिली के अनुसार दास को सांस लेने में शिकायत थी और उन्हें “बहुत ही गंभीर हालत” में लाया गया था। उस समय ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर ने उन्हें ऑक्सिजन भी दिया लेकिन उन्हें बचाया नहीं सका। मिली के अनुसार “डॉक्टर ने शववाहन को शव पहुंचाने के लिए कह दिया लेकिन उसके परिजन ड्राइवर का इंतजार किए बिना शव लेकर चले गये।”

सीएम सोनोवाल ने मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल स्वास्थ्य सेवा के निदेशक को आदेश दिया कि वो मजुली जाकर घटना की जांच करें। ओडिशा के कालाहांडी के रहने वाले दाना मांझी के पास शववाहन को देने के लिए पैसे नहीं थे इसलिए उन्हें करीब 12 किलोमीटर तक अपने पत्नी का शव कंधे पर लेकर जाना पड़ा था।

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