Friday, March 29, 2024
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महाराष्ट्र: भाजपा एमएलए की कंपनी को 473 करोड़ जुर्माना-बकाया देने का आदेश

SI News Today

महाराष्ट्र सरकार के स्टैंप एंड रजिस्ट्रेशन विभाग ने रियल एस्टेट सेक्टर के नामी कारोबारी लोढ़ा ग्रुप पर सेंट्रल मुंबई के वडाला में 5700 करोड़ की जमीन खरीद पर जानबूझकर स्टैंप शुल्क न देने के लिए जुर्माना लगाया है। लोढ़ा ग्रुप का स्वामित्व वरिष्ठ भाजपा नेता मंगल प्रभात लोढ़ा के परिवार के पास है। 30 अप्रैल को राज्य के कलेक्टर ऑफ स्टैंप्स ने लोढ़ा ग्रुप को स्टैंप शुल्क न चुकाने का दोषी घोषित करते हुए समूह को 473 करोड़ रुपये जुर्माना और बकाये के तौर पर 30 दिन के अंदर चुकाने का आदेश दिया। “कलेक्टर ऑफ स्टैंप्स” के पास अर्ध-न्यायिक शक्तियां होती हैं। आदेश के अनुसार ये राशि न चुकाने पर लोढा ग्रुप पर आगे कार्रवाई की जाएगी। इंडियन एक्सप्रेस के पास इस आदेश की प्रति मौजूद है।

विधायक मंगल प्रभात लोढ़ा के बेटे अभिषेक कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। अभिषेक के अनुसार उनकी कंपनी “इस आदेश को सक्षम संस्था में चुनौती देगी।”  मंगल प्रभात लोढ़ा कंपनी के चेयरमैन और संस्थापक हैं। लोढ़ा ग्रुप मुंबई के वडाला में “न्यू कफ परेड” नामक आवासीय और वाणिज्यिक टाउनशिप का निर्माण करा रहा है। इस प्रोजेक्ट के तहत जिस 9.96 लाख वर्गफीट जमीन पर निर्माण चल रहा है उसी पर दिया जाने वाला स्टैंप शुल्क सवालों के घेरे में है। इस प्रोजेक्ट में करीब 1200 अपार्टमेंट बनाए जा रहे हैं।

विवाद राज्य सरकार के मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (एमएमआरडीए) और लोढ़ा ग्रुप के लोढ़ा क्राउन बिल्डमार्ट प्राइवेट लिमिटेड के बीच एक अगस्त 2011 को वडाला की जमीन को लेकर हुआ करार है। विवादित जमीन के प्लानिंग का अधिकार एमएमआरडीए के पास है। तीन मार्च 2010 को अथॉरिटी ने इस जमीन पर निर्माण के लिए निविदाएं आमंत्रित कीं। निविदा की शर्तों के तहत एक बार में पूरा भुगतान या एक बार प्रीमियम भुगतान करके पांच साल में किश्तों में पूरा भुगतान किया जाना था।

लोढ़ा ग्रुप ने इस जमीन के लिए 5721 करोड़ रुपये किश्तों में प्रस्ताव दिया और उसे जमीन पर निर्माण कार्य का ठेका मिल गया। एक अगस्त 2011 को एमएमआरडीए और लोढ़ा ग्रुप के बीच एक “लीज समझौता” हुआ। समझौते के तहत लोढ़ा ग्रुप को इस जमीन पर बेयर लाइसेंस के तहत केवल इमारतें बनाने का अधिकार दिया गया। जमीन पर कोई और निर्माण नहीं होना था जब तक कि लीज “आधिकारिक तौर पर” न दे दी दाए। दोनों पक्ष इस बात पर सहमत थे कि निर्माण कार्य पूरा होने पर “आधिकारिक तौर पर लीज दी जाएगी।” यानी ये समझौता भविष्य में लीज दिए जाने के वादे का दस्तावेज था।

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