Friday, March 29, 2024
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ब्लैकमनी रोकने के लिए सिर्फ नोटबंदी नहीं, ये भी करे भारत

SI News Today

संयुक्तराष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार नोटबंदी अपने आप में कालेधन के सृजन पर लगाम लगाने के लिए पर्याप्त नहीं है और ऐसे में सभी तरह की अघोषित संपत्तिओं को पकड़ने के लिए अन्य कदमों की भी जरूरत है.

सरकार ने ठीक छह महीने पहले आठ नवंबर को नोटबंदी की घोषणा की और 500 व 1000 रुपये के मौजूदा नोटों को चलन से बाहर कर दिया. सरकार के इस कदम से लगभ 87 फीसदी नकदी एक झटके से प्रणाली से बाहर हो गई थी.

संयुक्त राष्ट्र के एशिया व प्रशांत क्षेत्र का आर्थिक व सामाजिक सर्वे 2017 के अनुसार भारत में कालेधन पर आधारित अर्थव्यवस्था जीडीपी के 20-25 फीसदी के बराबर है. इसमें नकदी का हिस्सा केवल 10 फीसदी माना जाता है.

रिपोर्ट में कहा गया है, इस कदम नोटबंदी से, अपने स्तर पर कालेधन का भावी प्रवाह नहीं रुकेगा, अघोषित संपत्ति व आस्तियों के सभी रूपों को लक्षित पूरक कदमों की जरूरत होगी. रिपोर्ट के अुनसार जीएसटी, स्वैच्छिक आय घोषणा योजना व टीआईएन के जरिए बड़े सौदों को पकड़ने की पहल जैसे व्यापक बुनियादी सुधारों से भी पारदर्शितता बढ़ेगी.

इसमें कहा गया है कि पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए रीयल इस्टेट पंजीकरण प्रक्रिया में सुधार जैसे अन्य कदमों पर भी विचार किया जा रहा है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि नोटबंदी के दौर में नकदी के विकल्पों को लेकर बढ़ी जागरूकता तथा सरकार की ओर से डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहन दिए जाने से नकदी रहित लेनदेन में स्थायी रूप से वृद्धि होने की संभावना है.

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