वित्त मंत्री अरुण जेटली और अरविंद केजरीवाल के डीडीसीए मानहानि मामले में बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान केजरीवाल के वकील राम जेठमलानी और जेटली के वकीलों के बीच काफी बहस हुई।
जेठमलानी ने जेटली को धूर्त तक कह दिया। इसपर आपत्ति जताते हुए जेटली ने कहा कि क्या अरविंद केजरीवाल ने आपको अनुमति दी है ये शब्द कहने के लिए। अगर दी है तो मैं 10 करोड़ की मानहानि की राशि बढ़ाने वाला हूं। जेटली ने कहा कि अपमान की एक सीमा होती है।
सुनवाई शुरू होने पर राम जेठमलानी ने ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में लिखे अपना एक आर्टिकल जेटली को दिखाया। उन्होंने वित्त मंत्री से पूछा कि क्या आपने इस आर्टिकल को पढ़ा है। जेटली के वकीलों ने जब इसपर आपत्ति जताई, तो जेठमलानी ने कहा अरुण जेटली चोर हैं, मैं ये साबित करूंगा।
जेटली ने कहा, “जेठमलानी अपनी खुद की दुश्मनी निकाल रहे हैं. अगर इसी तरह के दुर्भावनापूर्ण सवाल पूछे जाएंगे तो मैं अपनी मानहानि की 10 करोड़ की रकम को बढ़ा सकता हूं.” जेटली के मुताबिक, जेठमलानी निजी जिंदगी को लेकर हमले कर रहे हैं, जो ठीक नहीं है।
राम जेठमलानी ने कोर्ट में ये भी कहा कि काला धन लाने में उन्होंने जितनी लड़ाई लड़ी, जेटली ने उस पर पानी फेर दिया। बहरहाल, कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 28 और 31 जुलाई की तारीख मुकर्रर की है।
कोर्ट ने पीएम का नाम खींचने की नहीं दी इजाजत
इसके पहले जब जेठमलानी ने जेटली से वाद दायर करने के लिए प्रधानमंत्री से सलाह मशविरा करने के बारे में पूछा तो मंत्री के वकील ने इस सवाल की प्रासंगिकता पूछी, जिसे अदालत ने स्वीकार किया। संयुक्त रजिस्ट्रार ने कहा कि सवाल की अनुमति नहीं दी जाती, क्योंकि इसका इस मामले से कोई संबंध नहीं है।
जेठमलानी ने जेटली से यह भी पूछा था कि चूंकि आप कैबिनेट में मंत्री हैं तो आपके लिए सर्वश्रेष्ठ चरित्र गवाह प्रधानमंत्री होने चाहिए. क्या आप उनसे पूछताछ करना चाहते हैं?
मंत्री के वकील राजीव नायर और संदीप सेठी द्वारा सवाल का विरोध करने के बाद संयुक्त रजिस्ट्रार ने कहा कि सवाल को अनुमति नहीं दी जाती, क्योंकि याचिकाकर्ता (जेटली) के गवाहों की सूची रिकॉर्ड में है।