दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) इस बार दिव्यांग जनों को लेकर ज्यादा उदार होगा। दिव्यांग सशक्तिकरण अधिकार कानून-2016 को दाखिले में लागू करने वाला पहला विश्वविद्यालय बनने को तैयार है। इसके अलावा डीयू तेजाब हमला पीड़ितों को दाखिला में आरक्षण देने वाला देश का पहला विश्वविद्यालय बनने की भी तैयारी में है। इस बाबत सभी औपचारिकाएं पूरी कर ली गई हैं। माना जा रहा है कि इस साल नए दाखिला सत्र से ही डीयू में आरक्षण कोटे से मिलने वाले दाखिले की श्रेणियों में तेजाब हमला पीड़ितों की श्रेणी भी जुड़ जाएगी। सूत्रों के मुताबिक इस कड़ी में दिव्यांग जनों के आरक्षण कोटे में बढ़ोतरी और एसिड हमले के पीड़ित छात्रों को सहुलियतें देने का फैसला किया जा रहा है। विश्वविद्यालय की यह दोनों पहल दिव्यांग सशक्तिकरण अधिकार कानून-2016 और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की विशेष पहल के आलोक में की जा रही हैं। इस बाबत अंतिम बैठक सोमवार को होनी है।
सनद रहे कि अभी तक दिल्ली विश्वविद्यालय में दिव्यांगों को तीन फीसद का आरक्षण प्राप्त है। जानकारी के मुताबिक इसे 5 फीसद तक करने की योजना पर सैद्धांतिक सहमति बन गई है। इसमें एक फीसद सीट अन्य विशेषजनों के लिए आरक्षित किया जाना हैं जिसमें एसिड हमलों के पीड़ितों और कुछ खास तरह की बीमारियों के शिकार छात्रों को शामिल किया जा सकता है। उन्हें दाखिले में जरूरी ‘बेस्ट फोर’ के अंकन में रियायत और कक्षाओं में सीटों का आरक्षण जैसी सहुलियतें मिल सकती हैं। बता दें कि दिव्यांग छात्रों के लिए अब करीब 1600 सीटें आरक्षित हैं। लेकिन पिछले साल करीब 900 के करीब छात्र ही इस कोटे में दाखिला पा सके थे। नियम के मुताबिक कुल सीटों का 3 फीसद दिव्यांग छात्रों के लिए आरक्षित हैं। लेकिन यहां जरूरी है कि 40 फीसद से ज्यादा विकलांगता वाला सर्टिफिकेट छात्र के नाम से जारी होना जरूरी है। छात्र का नाम सरकारी अस्पताल की ओर से जारी सर्टिफिकेट में दर्ज होना जाहिए। इसके पेच में छात्र दाखिला से वंचित रह जाया करते हैं। जागरूकता के अभाव व उनकी असशक्तता भी कई बार उन्हें परिसर से वंचित रख देती है। इस बार डीयू की टीम जिसमें डॉक्टर भी होंगे, दिव्यांग छात्रों के दावे की जांच करेंगे। एक अधिकारी के मुताबिक उनके दाखिले की सहुलियतें के लिए दो अलग-अलग शिविर उतरी और दक्षिणी परिसर में बनाई जा रही है।
बहरहाल जान लें कि दिल्ली विश्वविद्यालय में कई तरह से आरक्षण हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय की करीब आधी सीटें ओबीसी व अनुसूचित जाति-जनजाति को मिलाकर आरक्षित हैं। इसके अलावा दूसरे कोटे के आरक्षण को जोड़ लिया जाए तो यह आंकड़ा करीब 63 फीसद तक पहुंच जाता है। मसलन ओबीसी के लिए 27 फीसद, अनुसूचित जाति-जनजाति के लिए 7.5 फीसद, शहीदों की पत्नी व उनके बच्चों के लिए 5 फीसद, विदेशी छात्रों के लिए 5 फीसद, विकलांग छात्रों के लिए 3 फीसद सीटे आरक्षित हैं।