तमिलनाडु के पशुपालन विभाग में पिछले 17 सालों से 2 रुपये प्रतिदिन पर काम कर रहे अंशकालिक सफाई कर्मचारी ने सेवा नियमित करने की मांग करते हुए मद्रास हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इरोड जिले के वेल्लोडु में विभाग के उपकेंद्र पर नियुक्त एम रविकुमार ने कोर्ट में अपील की है कि वो काफी गरीब परिवार से ताल्लुक रखता है। उसे अपनी पढ़ाई छोड़कर परिवार को पालने के लिए 2 रुपये प्रतिदिन की वेतन पर नौकरी करनी पड़ रही है।
एम रविकुमार की याचिका को स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति एम गोविंदाराजू ने पशुपालन विभाग द्वारा सहायकों की नियुक्ति के लिए साक्षात्कार के लिए बुलाने पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है। दी गई याचिका में कहा गया कि याची 20 जुलाई 2000 से वेल्लोडु उपकेंद्र पर 2 रुपये प्रतिदिन की तनख्वाह पर काम कर रहा है। हालांकि उसे उम्मीद थी कि दो वर्षों के बाद उसकी नौकरी नियमित कर दी जाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
रविकुमार के मुताबिक, जब उसे पता चला कि सहायकों की नियुक्ति के लिए विभाग द्वारा एक अधिसूचना जारी की गई है और उसके दावे पर विचार के लिए दिए गए आवेदन को नहीं स्वीकार किया गया। कई सरकारी आदेशों का हवाला देते हुए उसने कहा कि अंशकालिक या दैनिक मजदूर सरकारी सेवा में शामिल होने के पात्र हैं।
अपने जवाबी हलफनामे में विभाग ने उसके नाम को प्रायोजित नहीं करने के लिए रोजगार कार्यालय को जिम्मेदार ठहराया है। रविकुमार ने कहा कि उसके जैसे कर्मचारियों को दशकों तक अनियमित रखना सरकार की तरफ से अमानवीय है। रविकुमार ने हाईकोर्ट से उसे विभाग में बतौर सहायक नियुक्त करने के लिए अधिकारियों को निर्देश जारी करने की मांग की है।
इंसान पढ़-लिखकर अच्छी नौकरी पाने के लिए जी-जान लगा देता है और जब उसे मनचाही नौकरी मिलती है तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहता। वह आगे बढ़ने के लिए काफी मेहनत करता है ताकि उसका प्रमोशन हो सके और उसकी सैलरी में इज़ाफा आए। कई बार होता है कि मेहनत को देखकर प्रमोशन जल्दी हो जाता है, तो कभी काफी मेहनत करने के बावजूद प्रमोशन नहीं मिल पाता, जिसके कारण व्यक्ति तनाव में चला जाता है और कई मामलों में तो घातक कदम भी उठा लेता है।