Friday, April 19, 2024
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लादेन की पत्नी अमाल ने बताई उस रात की पूरी कहानी जिस दिन मारा गया था ‘आंतक का आंका’ ओसामा

SI News Today

1 मई 2011 को दुनिया के सबसे खूंखार आतंकी माने-जाने वाले ओसामा बिन लादेन को अमेरिका की सील कमांडों की टीम ने खुफिया ऑपरेशन करके मौत के घाट उतार दिया था। लादेन की मौत की कहानी कई बार सामने आ चुकी है, लेकिन कभी अमेरिकी सरकार द्वारा तो कभी यूएस नेवी सील के द्वारा। अब पहली बार खुद लादेन की चौथी पत्नी अमाल ने उस रात की कहानी बयां की। जिस दिन लादेन को मार गया अमाल पाकिस्तान के उसी एबटाबाद वाले घर में थी और लादेन के साथ ही थी। अमाल ने स्कॉट-क्लार्क और एड्रिन लेवी से उनकी किताब ‘द एग्जाइल: द फ्लाइट ऑफ ओसामा बिन लादेन अबाउट द लास्ट फ्यू मिनट्स ऑफ 9/11 मास्टरमाइंड्स लाइफ’ के लिए बात की है। इस किताब का एक अंश संडे टाइम्स यूके ने प्रकाशित किया गया है।

लादेन की बेगम अमाल उस दिन को याद करते हुए बताती हैं कि पाकिस्तान के एबटाबाद घर के कम्पाउंड में यूएस मिलेट्री ब्लैक हॉक हेलिकॉप्टर उतरता है। इस घर में लादेन का परिवार 6 साल से रह रहा था। उसने बताया कि हेलिकॉप्टर की आवाज सुनकर उसका पति (लादेन) उठा गया और उसके चेहरे पर डर दिख रहा था। जैसे ही सील कमांडों घर के अंदर आने लगे। लादेन की चार पत्नियों में तीन बीवियां और बच्चे ऊपर वाले बेडरूम में एकत्र हो गए और प्रार्थना करने लगे। लादेन ने अपनी पत्नियों से कहा, “वह बच्चों के साथ नीचें जाए। क्योंकि वह सिर्फ मुझे चाहते हैं, तुम लोगों को नहीं।” हालांकि अमाल ने बेटे हुसैन के साथ लादेन के पास ही रहने का आग्रह किया।

अमाल ने बताया कि इस तनाव भरे समय में नेवी की सील ऊपर के कमरे की ओर बढ़ रही थी, उसने लादेन के एक बेटे खालिद को मार दिया और रास्ते में लादेन की बेटियों से उनकी मुठभेड़ भी हुई। अमाल ने कहा कि उन्हें लगा कि किसी ने उनके सेफ हाउस के बारे में बताया है। क्योंकि उनका सेफ हाउस मौत का कुआं थी और किसी ने उन्हें (लादेन) धोखा दिया था।

अमाल के मुताबिक लादेन के पास इस हालत से लड़ने के लिए कोई प्लान नहीं था। लादेन अपनी अंडरवियर में कुछ यूरो और वजिरिस्‍तान में मौजूद अल कायदा के बाकी अधिकारियों के नंबर छिपाकर रखता था। बस यही उसके किसी भी इमरजेंसी प्‍लान का हिस्‍सा होता था। जैसे ही नेवी टीम उनके कमरे में दाखिल हुई, उसने उन्‍हें भगाने की कोशिश कि लेकिन इस दौरान उसके पैर में गोली लग गई थी। जब वह आई, तो बिन लादेन मर चुका था। वहीं, अपने पिता की हत्या का गवाह हुसैन एक किनारे बैठा हुआ कांप रहा था।

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