उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के सहारनुपर जिले में हाल ही में हुई जातीय हिंसा की घटनाओं की जांच के लिए विशेष जांच दल गठित करने हेतु दायर याचिका पर शीघ्र सुनवाई से शुक्रवार (26 मई) को इंकार कर दिया। न्यायमूर्ति एन नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि इस पर शीघ्र सुनवाई की कोई आवश्यकता नहीं है और ग्रीष्मावकाश के बाद न्यायालय इस पर सुनवाई कर सकता है।
न्यायालय ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब निजी रूप से जनहित याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता गौरव यादव ने इसका उल्लेख करते हुये शीघ्र सुनवाई का अनुरोध किया। उनका कहना था कि इस मामले में न्यायिक हस्तक्षेप की जरूरत है।
इस याचिका में विशेष जांच दल गठित करने और हिंसा में जान माल गंवाने वाले परिवारों को मुआवजा देने का राज्य सरकार को निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है। इस हिंसा में दो लोग मारे गये हैं और कई अन्य जख्मी हुयी हैं।
याचिका में कहा गया है कि इस तथ्य का उल्लेख करना जरूरी है कि पुलिस ने निर्दोष व्यक्तियों पर लाठी चार्ज किया और इसमें करीब एक सौ ग्रामीण जख्मी हो गये परंतु उनके मकानों को जलाने और कीमती संपत्ति लूटने वालों के खिलाफ मामले दर्ज नहीं किये गये हैं।
केन्द्र और उत्तर प्रदेश सरकार के खिलाफ दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि करीब 40 व्यक्ति अभी भी लापता हैं और पांच हजार से अधिक लोग इस हिंसा से प्रभावित हैं। याचिका में प्रशासन और पुलिस पर पक्षपातपूर्ण भूमिका निभाने और हिंसा को काबू करने में बुरी तरह विफल रहने के आरोप लगाये गये है।