Saturday, April 20, 2024
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कपिल मिश्रा के तीन नए आरोप, कहा- 8 लाख की एंबुलेंस 23 लाख में खरीदी

SI News Today

दिल्ली सरकार में पूर्व कैबिनेट मंत्री कपिल मिश्रा ने एक बार फिर अरविंद केजरीवाल सरकार पर भष्टाचार में लिप्त होने के आरोप लगाए हैं। इस बार उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में स्वास्थ्य से जुड़े घोटाले को उजाकर करने का दावा किया है। शनिवार (27 मई, 2017) सुबह मीडिया को जानकारी देते हुए कपिल मिश्रा ने कहा, ‘दवाईयां खरीदी जा रही हैं लेकिन ये हॉस्पिटल तक नहीं पहुंच रही हैं। एंबुलेंस की सुविधा के लिए ज्यादा पैसे लिए जा रहे हैं और स्थानांतरण और नियुक्तियों को लेकर भी उल्लंघन हुआ है।’ कपिल मिश्रा ने कहा कि वो इस मामले में उपराज्यपाल अनिल बैजल से संपर्क करेंगे और भ्रष्टाचार विरोधी शाखा (ACB) से इसकी शिकायत करेंगे।

प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए कपिल मिश्रा ने कहा कि दिल्ली के हॉस्पिटल में 70 फीसदी जरूरी दवाईयों की आवश्यकता है। इनमें जीवन बचाने वाली और अन्य महत्वपूर्ण दवाएं शामिल हैं। इन हॉस्पिटलों में सिर्फ 50 प्रकार की दवाएं ही उपलब्ध हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि राज्य के स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन हॉस्पिटलों को दवाईयां खरीदने का अधिकार नहीं देते। साथ ही इस काम को केंद्रीय खरीद प्राधिकरण को सौंपने की बजाए स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक तरुम सिम को जिम्मेदार बनाया गया था। साथ ही उन्हें 100 करोड़ की दवाई खरीदने की जिम्मेदारी दी गई। उन्होंने आगे कहा कि ऑर्डर देने के लिए निरंतर सॉफ्टवेयर भी बनाया गया और तीन गोदाम भी बनाए गए। दवाईयां खरीदकर गोदाम में रखी गईं। जबकि डेंगू की दवाईयां खरीदना ज्यादा जरूरी था। जिन दवाईयों को पहले खरीदा गया उनकी जरूरत नहीं थी। गोदाम में रखे-रखे ही दवाईयों एक्सपायर हो गईं। अस्पताल दवाईयों की कमियों से जूझ रहे हैं। ऐसे में जब दवाईयों की ज्यादा जरूरत होती है तब ना सरकार और ना ही हॉस्पिटलों के पास दवाईयों का भंडार होता है।

पूर्व आप नेता ने आगे कहा कि 100 एंबुलेंस खरीदी गईं। प्रत्येंक एंबुलेंस की कीमत 23 लाख रुपए है। मगर एंबुलेंस की सपलाई करने वाली कंपनी टाटा ने इन एंबुलेंस को कथित तौर दिल्ली सरकार को महज 8 लाख रुपए की दर से बेचा। साथ करीब 2.5 रुपए अतिरिक्त लिया गया। इस दौरान मिश्रा ने केजरीवाल सरकार से सवाल पूछते हुए कहा कि प्रत्येक एंबुलेंस खरीदारी में 12.5 लाख का अंतर क्यों आ रहा है। उन्होंने कहा कि खरीदी गई सभी एंबुलेंस फायर प्रूफ होनी चाहिए थी लेकिन शुरुआती दिनों में ही कई एंबुलेंस में आग लग गई। कुछ एंबुलेंस काम ही नहीं कर रही हैं। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन ने स्थानांतरण और नियुक्तियों को लेकर भी नियमों का उल्लंघन किया है। जूनियर अधिकारियों को सीनियर अधिकारी का पद दिया गया। जैन 30 गैर कानूनी पोस्ट को मंजूरी दी है।

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