Thursday, March 28, 2024
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बाहर रह कर नहीं समझा जा सकता संघ को

SI News Today

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के शिक्षार्थियों के लिए अहम माने जाने वाले तृतीय वर्ष के संघ शिक्षा वर्ग की शुरुआत 15 मई को हुई जिसमें वरिष्ठ पदाधिकारी दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि संघ का वर्ग कोई इवेंट मैनेजमेंट नहीं है। संघ को जानना समझना है तो संघ का प्रत्यक्ष कार्य करना पड़ेगा क्योंकि संघ को बाहर रह कर नहीं समझा जा सकता।
संघ शिक्षा वर्ग की शुरुआत 15 मई को नागपुर रेशिमबाग स्थित डॉक्टर हेडगवार स्मृति भवन परिसर में हुई और इसका समापन 8 जून को होगा। संघ के सहसरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने देश भर के सभी प्रांतों से आए शिक्षार्थियों से कहा कि संघ के बारे में यदि किसी को जानना है तो इसके लिए सिर्फ किताबें पढ़ना, किताबें लिखना, अनुसंधान करना ही पर्याप्त नहीं है। संघ को जानना-समझना है तो संघ का प्रत्यक्ष कार्य करना पड़ेगा। जिस तरह तैराकी सीखनी है तो नदी में कूदना ही पड़ता है और धारा के विपरीत भी जाना पड़ता है, वैसे ही संघ को बाहर रह कर नहीं समझा जा सकता।

उन्होंने कहा कि समाज की किसी भी आवश्यकता या संकट के समाधान के लिए सज्जन शक्ति जो संगठित होकर, परिचित या अपरिचित को सद्भावपूर्वक, आत्मीयता के साथ स्वागत करे यही स्वयंसेवक की पहचान है। होसबोले ने कहा कि संघ का वर्ग कोई इवेंट मैनेजमेंट नहीं है, इस वर्ग के क्षण क्षण को, कण कण को अपने अंतर्मन में समाहित कर उसकी अनुभूति करें, क्योंकि ऐसे प्रशिक्षणों से हम शारीरिक के साथ-साथ वैचारिक रूप से भी मजबूत होते हैं। आरएसएस की विज्ञप्ति के मुताबिक, होसबोले ने कहा कि राष्ट्र क्या है? हिंदू राष्ट्र क्या है? संघ का कार्य क्यों और कैसे? ऐसे अनेक मूल प्रश्नों का जवाब प्रशिक्षण वर्ग के माध्यम से मिलता है। होसबोले ने कहा कि शरीर तो तंदुरुस्त है पर अपने मन को भी तंदुरुस्त, सावधान और संवेदनशील बनाने की साधना यह प्रशिक्षण वर्ग है। शरीर मन, बुद्धि और आत्मा की शुद्धीकरण का माध्यम है। यह वर्ग उस संपूर्ण देश का अनुभव कराएगा। अलग भाषा, अलग पहनावा, अलग खानपान पर फिर भी एक हो कर राष्ट्र के लिए समर्पित हो कर जब आप यह प्रशिक्षण पूर्ण करेंगे तो आप स्वत: ही अखिल भारतीय व्यक्तित्व बन जाते हैं।

आएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि संघ में कई लोग, संघ के रहस्य को जानने के लिए आते हैं। प्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा ने उस शाखा को देखने की इच्छा जताई जिससे स्वयंसेवक का निर्माण होता है। संघ से जुड़ने के बाद सभी स्वयंसेवक संघशिक्षा तृतीय वर्ष तक शिक्षण का स्वप्न देखते हैं। लेकिन कई लाख स्वयंसेवकों में से चुने हुए हजार स्वयंसेवकोें को ही यह मौका मिल पाता है। उन्होंने कहा कि परिवर्तनशील भारत में आज भी जीवनमूल्यों को आखिर कैसे संरक्षित रखा जा सकता है, इस पर कई देश आश्चर्यचकित हैं, कुछ शोध कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि संपूर्ण विश्व की नजर संघ पर है। यह एक राष्ट्रीय अभियान है और इसी कड़ी में आप इस वर्ग का हिस्सा बनेंगे जो राष्ट्रहित में उपयोगी सिद्ध होगा। यह वर्ग इसलिए भी खास है कि नागपुर की इसी भूमि से हमारे सरसंघचालक रहे डॉक्टर हेडगेवार ने संघ कार्य का आधार रखा था।
संघ के पालक अधिकारी अनिल ओक ने कहा कि आज संपूर्ण विश्व भारत की ओर आशा से देखता है। भारत संपूर्ण विश्व का मार्गदर्शन करता है। और भारत के लोग संघ की ओर देख रहे हैं। हमें क्या करना और क्या नहीं करना है। मैं क्या हूं और मुझे क्या बनना है? इन दोनों के बीच के अंतर का कम होना ही विकास है। (भाषा)

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