Friday, March 29, 2024
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कुलभूषण जाधव को फांसी पर लटकाने की जल्‍दी

SI News Today

पाकिस्तान में एक वकील मुजमिल अली ने सुप्रीम कोर्ट में कुलभूषण जाधव को जल्दी फांसी देने को लेकर एक याचिका दायर की है। इसमें यह कहा है कि आईसीजे के आदेश, कुलभूषण के मामले में पाकिस्तान पर कोई बाध्यकारी नहीं हैं। यह देश के घरेलू कानून के तहत इस मामले को प्रभावित नहीं करता है। याचिका को पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 184 (3) के तहत दायर किया गया है। इस याचिका में प्रांतीय सरकार, आंतरिक एवं कानून सचिव और पाकिस्तान आर्मी ऐक्ट (PPA) 1952 के अंतर्गत गठित कोर्ट ऑफ अपील को रिस्पॉन्डेंट बनाया गया है।

जाधव की मौत की सजा सैन्य अदालतों द्वारा दी गई है, जिन्हें संवैधानिक संशोधन के जरिए पाकिस्तान संसद द्वारा स्थापित किया गया है। संसद ने हाल ही में अदालतों को दो साल का विस्तार दिया और मुख्य रूप से आतंकवाद के मामलों से निपटने पर ध्यान केंद्रित किया। सुप्रीम कोर्ट में दायर मामला, देश की कानूनी व्यवस्था के तहत जाधव के मामले का समर्थन करने का प्रयास है, जैसा कि याचिकाकर्ता ने सर्वोच्च न्यायालय से यह घोषित करने के लिए कहा है कि जाधव के मुकदमे पर फैसले पाकिस्तान में कानून के अनुसार दिए गए थे।

गौरतलब हो कि अंतरराष्‍ट्रीय अदालत ने कुलभूषण जाधव की फांसी पर रोक लगा दी है। जाधव को पाकिस्‍तान की सैन्‍य अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है। उसे पाकिस्तान की सरकार की ओर से न तो कोई कानूनी मदद दी जा रही है और न ही उसके बारे में कोई सूचना उसके परिवार को दी जा रही है। जाधव से मिलने भी नहीं दिया जा रहा है। पाकिस्तान का दावा है कि कुलभूषण जाधव एक भारतीय जासूस हैं जिसे पाकिस्तान में गिरफ्तार किया गया था, जबकि भारत जाधव को भारतीय नौसेना का पूर्व अधिकारी बता रहा है जिन्हें ईरान से गिरफ्तार किया गया।

पाकिस्तान का दावा है कि उसकी सुरक्षा एजेंसियों ने पिछले साल मार्च में जाधव को बलूचिस्तान से पकड़ा था। पाकिस्तान जाधव को भारत का जासूस बताता है। उसका आरोप है कि जाधव बलूचिस्तान को अस्थिर करने की कोशिशों में शामिल थे। भारत ने उसके इन दावों को खारिज करते हुए साफ किया कि जाधव का ईरान से अपहरण किया गया था। भारत द्वारा बार-बार अपील किए जाने के बाद भी पाकिस्तान ने जाधव को वकील मुहैया नहीं कराया।

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