अर्थव्यवस्था की स्थिति पर ताजा आंकड़ें चिंता का विषय है। वहीं इन आंकडों को लेकर नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने सकारात्मक बात कही है। उन्होंने दावा किया है कि इस वित्त वर्ष विकास दर 7.5 फीसद तक रहेगी। वहीं उन्होंने यह भी कहा है कि अगले दो सालों में ग्रोथ रेट 8 फीसद पर पहुंचेगा। इसके अलावा पनगढ़िया ने आर्थिक विकास से जुड़े और भी कई पहलुओं पर बात की है। पलायन की स्थिति को लेकर उन्होंने कहा- “पलायन विकास का एक अहम हिस्सा है। पलायन को हमें नकारात्मकता के साथ नहीं देखना चाहिए। वहीं ग्रामीण विकास के लिए हमें स्थिरता की जरूरत है।”
बता दें 31 मई को देश के आर्थिक विकास से जुड़े आंकड़ें सामने आए थे। ताजा आंकड़ों के मुताबिक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 2016-17 में घटकर 7.1 प्रतिशत पर आ गई है। 2015-16 में ये आंकड़ा 7.9 फीसदी था। वहीं नोटबंदी के तत्काल बाद की तिमाही जनवरी-मार्च में जीडीपी विकास दर घटकर 6.1 फीसद पर आ गई। आधार वर्ष 2011-12 के आधार पर नई श्रृंखला के हिसाब से 2015-16 में जीडीपी की वृद्धि दर 8 प्रतिशत रही है। पुरानी श्रृंखला के हिसाब से यह 7.9 प्रतिशत रही थी। वहीं चिंता की बात ये है कि कृषि क्षेत्र के काफी अच्छे प्रदर्शन के बावजूद वृद्धि दर नीचे आई है। सरकार ने 500 और 1,000 के बड़े मूल्य के पहले से चल रहे नोटों को आठ नवंबर को बंद करने की घोषणा की थी। इस नोट बदलने के काम में 87 प्रतिशत नकद नोट चलन से बाहर हो गए थे।
नोटबंदी के बाद कृषि को छोड़कर अन्य सभी क्षेत्रों में गिरावट आई। विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर चौथी तिमाही में घटकर 5.3 प्रतिशत रह गई, जो एक साल पहले समान तिमाही में 12.7 प्रतिशत रही थी। निर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर नकारात्मक रही। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के आंकड़ों के अनुसार 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष में सकल मूल्यवर्धन (जीवीए) घटकर 6.6 फीसद पर आ गया, जो कि 2015-16 में 7.9 फीसद रहा था।