Friday, March 29, 2024
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पटना रैली से पहले लखनऊ में दिखेगी विपक्षी एकता की झलक

SI News Today

लालू यादव की पटना रैली से पहले शिवपाल सिंह यादव लखनऊ में विपक्षी नेताओं का जमावड़ा करेंगे। उनकी योजना महात्मा गांधी, डॉ. लोहिया और चौधरी चरण सिंह के अनुयायियों को साथ लाने की है।
समाजवादी सेकुलर फ्रंट के गठन से पहले शिवपाल अगले कुछ दिनों में गैर भाजपा दलों नेताओं के मिलकर विचार-विमर्श करेंगे। सपा में हाशिए पर चल रहे शिवपाल ने मुलायम सिंह यादव की अगुवाई में 6 जुलाई को लखनऊ में सेकुलर फ्रंट बनाने का एलान किया है।

उनकी कोशिश है कि इस फ्रंट के जरिए विपक्षी एकता को धार दी जाए। इसे 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले सियासी गठजोड़ की संभावनाओं से जोड़कर भी देखा जा रहा है।

शिवपाल ने बिहार विधानसभा चुनाव से पहले भी विपक्षी एकता की कोशिशें की थीं। बकौल शिवपाल, ये कोशिशें परवान चढ़ गई थीं। मुलायम को महागठबंधन का अध्यक्ष चुन लिया गया था, लेकिन रामगोपाल ने चुनाव से ठीक पहले इसकी हवा निकाल दी थी। उस समय मुलायम सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे।
शिवपाल-मुलायम की अब नहीं रह गई है कोई भूमिका

अब स्थितियां बदली हुई हैं। मुलायम और शिवपाल, दोनों ही सपा में किसी पद पर नहीं हैं। इसी साल एक जनवरी को उन्हें क्रमश: राष्ट्रीय अध्यक्ष व प्रदेश अध्यक्ष पद  से हटा दिया गया। विधानसभा चुनाव के प्रचार से भी उन्हें अलग रखा गया। पार्टी के फैसलों में उनकी कोई भूमिका अब नहीं रह गई है।

लखनऊ सम्मेलन में होगी सियासी कौशल की परीक्षा
भले ही शिवपाल पहले विरोधी दलों को एकजुट करते रहे हों, लेकिन सेकुलर फ्रंट के स्थापना सम्मेलन में 6 जुलाई को लखनऊ में उनके सियासी कौशल की परीक्षा होगी।

कोशिश है कि लालू यादव की पटना रैली से पहले लखनऊ में सेकुलर फ्रंट के गठन में विपक्षी एकता की झलक दिख जाए। कुछ दलों के नेता इसमें शामिल भी हो जाएं। इसके लिए शिवपाल अब दूसरे दलों के नेताओं से मिलने का सिलसिला शुरू करेंगे।

सपा के पुराने नेता उनके सम्मेलन में शिरकत करेंगे या नहीं, यह भी अहम सवाल है। विधानसभा चुनाव के समय अधिकतर नेताओं ने अखिलेश के नेतृत्व में भरोसा जताया था। उस समय अखिलेश प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। संभावना है कि बदले हालात में कुछ पुराने नेता सेकुलर फ्रंट के साथ जुड़ सकते हैं। कुछ नेता इन दिनों उनके संपर्क में भी हैं।
मुलायम के सम्मान की लड़ाई भी
शिवपाल जिस समाजवादी सेकुलर फ्रंट का गठन करने जा रहे हैं, वह एक तरह से मुलायम के सम्मान की लड़ाई भी है। शिवपाल की कोशिश है कि सपा में हाशिए पर किए जाने के बाद मुलायम सिंह सेकुलर फ्रंट के अध्यक्ष के तौर पर राष्ट्रीय राजनीति में अपनी भूमिका का निर्वहन करें।

कई मुद्दों पर मुलायम की राय अपने बेटे और सपा मुखिया अखिलेश यादव से जुदा है। मुलायम यूपी के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से गठबंधन के खिलाफ थे। उन्होंने सार्वजनिक तौर पर इसका विरोध किया था।

उनका कहना था कि कांग्रेस ने उन्हें राजनीतिक तौर पर खत्म करने में कसर नहीं छोड़ी, जानलेवा हमले भी करवाए। मुलायम मानते हैं कि सपा को कांग्रेस से गठबंधन करने से नुकसान हुआ है।

वहीं, अखिलेश अब भी कह रहे हैं कि कांग्रेस से उनकी दोस्ती खत्म नहीं होगी। यानी भविष्य में सपा-कांग्रेस की दोस्ती के रास्ते खुले हुए हैं।

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