महाराष्ट्र के पुणे जिले के मुलशी तालुका में साल 1990 में जब टेमघर बांध बना था तो इस जगह रहने वाले लोगों को दूसरी जगह शिफ्ट करना पड़ा था। उसके बाद से लेकर अब तक इस इलाके में कोई पानी की पाइपलाइन नहीं डाली गई। वेगारे, धनौरी और मंडवखड़क इलाके की महिलाओं को कुएं से पानी लाने के लिए 2-4 किलोमीटर पैदल जाना पड़ता है। लेकिन 26 साल बाद यहां रहने वाले लोगों का इंतजार खत्म होने वाला है। मंडवखड़क में पानी की पाइपलाइन डाली जा चुकी है और घरों तक टंकियों के जरिए पानी की सप्लाई इस हफ्ते तक हो जाएगी। पानी की पाइपलाइन के लिए फंड का इंतजाम पुणे की दो संस्थाओं टेलअस अॉर्गनाइजेशन और आधार प्रतिष्ठान ने किया है। पौड़ रोड से 60 किलोमीटर दूर बनसे इन गांवों में 30 परिवार रहते हैं। 3 गांवों की कुल आबादी 300 के करीब है। ज्यादातर लोग गडरिये समुदाय से ताल्लुक रखते हैं।
वेगारे के सरपंच भाऊसाहेब मरखले ने कहा, गांव काफी दूर हैं और पहाड़ पर बसे हुए हैं। मंडवकड़क के पास जो कुआं है, वह दो साल पहले बना था। पाइपलाइन 1.5 किमी तक फैली हुई है और अधिकांश घरों तक पानी पहुंचाएगी। पानी की कमी से जूझ रहे अन्य गांवों की मदद करने के लिए हमें 5 किलोमीटर लंबी पानी की पाइपलाइन बिछानी होगी। मारखले ने कुछ अन्य संस्थानों और कॉरपोरेट संस्थाओं से बाकी बची पानी की पाइपलाइन का काम पूरा कराने के लिए मदद मांगी है।
टेलअस अॉर्गनाइजेशन के लोकेश बापट ने कहा कि पाइपलाइन का काम पूरा हो चुका है। 5 जून तक टंकियां भी लगा दी जाएंगी। बापट ने कहा, दशकों तक परेशानी झेलने के बाद अब इन तीनों गांवों को राहत मिलेगी। गर्मियों में उन्हें और ज्यादा मुसीबत झेलनी पड़ती थी। किसी ने भी उनके बारे में नहीं सोचा। पानी की यह पाइपलाइन अब उनका इंतजार खत्म करेगी।