Thursday, March 28, 2024
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‘मॉब लिंचिंग’ के खिलाफ JNU के छात्र नेताओं ने पेश किया कानून का मसौदा

SI News Today

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने ‘मॉब लिंचिंग’ (भीड़ द्वारा निर्दोषों की हत्या) के खिलाफ अपना मत रखते हुए कहा कि देश को ‘राष्ट्रीय सुरक्षा कानून’ से ज्यादा ‘मानव सुरक्षा कानून’ की आवश्यकता है।  कन्हैया और अन्य छात्र नेताओं व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सोमवार को संयुक्त रूप से ‘मॉब लिंचिंग’ के खिलाफ राष्ट्रीय मुहिम शुरू करने की घोषणा की। इसके लिए आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान दस सदस्य मसौदा समिति की भी घोषणा की गई जो ‘मॉब लिंचिंग’ पर कानून का मसौदा तैयार कर 11 जुलाई तक केंद्र सरकार को सौंपेगी। केंद्र की ओर से कानून न लाए जाने की स्थिति में ऊना आंदोलन की सालगिरह से देशव्यापी आंदोलन की चेतावनी देते हुए कहा गया कि देश के किसान, चरवाहे और डेयरी किसान अपने मवेशी प्रधानमंत्री निवास के सामने जमा करेंगे। ‘मॉब लिंचिंग’ के खिलाफ मुहिम शुरू करने और कानून का मसौदा तैयार करने की घोषणा के लिए दिल्ली के कंस्टीट्यूशन क्लब में जमा हुए कन्हैया कुमार, जेएनयू छात्र संघ की उपाध्यक्ष शेहला राशिद, उद्यमी व सामाजिक कार्यकर्ता तहसीन पूनावाल, ऊना दलित आंदोलन के नेता जिग्नेश मेवानी और अन्य ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भीड़ की ओर से निर्दोषों की हत्या के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की अपील की और आने वाले दिनों में मुहिम तेज करने की चेतावनी दी। कन्हैया कुमार ने कोर्ट परिसर में अपने खिलाफ हुई घटना को याद करते हुए कहा कि कहीं पहनावा, कहीं राष्ट्रवाद, कहीं खान-पान, कहीं प्रेम को सवाल बनाया जा रहा है और हिंसा की जा रही है जिस पर सोचना पड़ेगा क्योंकि जैव विविधता की तरह सामाजिक विविधता भी जरूरी है, हम मसौदा तैयार कर सरकार को देंगे, सरकार ने कानून नहीं बनाया तो लड़ाई लड़ेंगे।

उन्होंने कहा कि लोग मारे जा रहे हैं, हर बार भीड़ होती है, लोग कहते हैं भीड़ का चेहरा नहीं होता है, लेकिन भीड़ का चेहरा होता है जिसे पहचानना होगा नहीं तो लोकतंत्र को भीड़तंत्र बनने से नहीं रोका जा सकता है। केरल और पश्चिम बंगाल के संदर्भ में मसौदे के नियत पर उठे सवाल पर कुमार ने कहा कि नियत सत्ता पर जो बैठे हैं उनकी जानने की जरूरत है, न कि उनके जैसे आम लोगों की।  शेहला राशिद ने कहा कि यह सांप्रदायिक मामला नहीं है और केवल मुसलमान इसके शिकार नहीं हैं। इस तरह की उन्मादी भीड़ ने जेवर और अलवर में डेयरी किसानों की हत्या कर दी। सड़क पर खुलेआम मूत्र विसर्जन करने पर रोकने के कारण एक आॅटो चालक का भीड़ ने सरेआम कत्ल कर दिया। यह सोचना होगा कि भीड़ इतनी उग्र क्यों हो रही है? जेएनयू के गायब छात्र नजीब की बहन सद्दाफ ने सवाल किया कि आखिर समाज में इतना गुस्सा क्यों है और कहां से आ रहा है खासकर युवाओं में। पूनावाला ने प्रधानमंत्री से कानून बनाने की अपील करते हुए कहा कि सरकार को यथाशीघ्र अध्यादेश लाना चाहिए और मॉब लिंचिंग को गैर जमानती अपराध घोषित कर इसके लिए आजीवन कारावास का प्रावधान करना चाहिए। कार्यक्रम में मौजूद वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैय्यर ने देश के युवाओं से मजहबी मतभेद को बढ़ने देने से रोकने की बात कही।

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