Friday, March 29, 2024
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GST: मोबाइल बिल बढ़ना तय

SI News Today

नई दिल्ली.जीएसटी लागू होने पर फोन बिल बढ़ना करीब-करीब तय है। टेलीकॉम कंपनियों का कहना है कि सरकार जो इनपुट टैक्स क्रेडिट दे रही है, वह बढ़े हुए टैक्स को एडजस्ट करने के लिए काफी नहीं होगा। इन कंपनियों के संगठन सीओएआई ने सरकार से टैक्स रेट 18% से घटाने की मांग की है। अभी फोन बिल पर 15% सर्विस टैक्स और सेस लगता है। इसका कहना है कि जीएसटी में इनपुट क्रेडिट की फैसिलिटी जरूर दी गई है, लेकिन यह इतना नहीं होगा कि टैक्स में बढ़ोतरी को एडजस्ट किया जा सके। इनपुट क्रेडिट सिर्फ मशीनरी की खरीद पर मिलेगा…

– तीन फीसदी टैक्स तो पूरे रेवेन्यू पर जुड़ेगा, लेकिन इनपुट क्रेडिट सिर्फ मशीनरी आदि की खरीद पर मिलेगा। यह रेवेन्यू का करीब 1.1% होगा। इस सिलसिले में एसोसिएशन ने रेवेन्यू सेक्रेटरी हसमुख अढिया को एक लेटर लिखा है।
– बता दें कि 11 जून को जीएसटी काउंसिल की फिर बैठक होनी है। इसमें कुछ नियमों को अंतिम रूप देने के साथ टैक्स रेट में संशोधन के प्रस्तावों पर भी विचार होगा।
– हालांकि वित्त मंत्रालय संकेत दे चुका है कि संशोधनों पर तभी विचार होगा जब टैक्स रेट अभी की तुलना में काफी ज्यादा होगा। एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया और रिलायंस जियो इस एसोसिएशन की मेंबर हैं। कंपनियों ने टेलीकॉम टावर्स पर क्रेडिट नहीं दिए जाने का भी विरोध किया है।

मोदी ने लिया तैयारियों का जायजा
– नरेंद्र मोदी ने अफसरों से जीएसटी के आईटी नेटवर्क की सुरक्षा पर खासतौर पर ध्यान देने को कहा है, ताकि इसे हैक न किया जा सके। उन्होंने कहा कि नई टैक्स व्यवस्था देश की इकोनॉमी के लिए ‘टर्निंग प्वाइंट’ साबित होगी। एक देश, एक बाजार और एक टैक्स सिस्टम से आम आदमी को काफी फायदा होगा। सोमवार को जीएसटी की समीक्षा बैठक में उन्होंने ये बातें कही।
– पीएमओ की तरफ से जारी बयान के मुताबिक बैठक करीब दो घंटे चली। इसमें वित्त मंत्री अरुण जेटली, हसमुख अढिया, वित्त मंत्रालय और पीएमओ के टॉप अफसर और कैबिनेट सेक्रेटरी मौजूद थे।
– जीएसटी में टैक्स रेट तय होने के बाद मोदी की यह पहली समीक्षा बैठक थी। इससे पहले उन्होंने 2 मई को जीएसटी पर बैठक की थी। पीएम ने आईटी और एचआर से जुड़ी तैयारियों, अफसरों की ट्रेनिंग, सवाल-जवाब की व्यवस्था और मॉनिटरिंग के बारे में भी जाना। अधिकारियों ने बताया कि आईटी इन्फ्रा से लेकर अफसरों की ट्रेनिंग और कारोबारियों के एनरोलमेंट तक, सब कुछ 1 जुलाई से पहले पूरा हो जाएगा।

टैक्स 1% बढ़ने से सोने की डिमांड कम नहीं होगी : इक्रा
– रेटिंग एजेंसी इक्रा का आकलन है कि सोना और इसकी ज्वैलरी पर 3% जीएसटी से सोने की डिमांड पर असर नहीं होगा। अभी इस पर 1% एक्साइज ड्यूटी और 1% वैट लगता है। इसके अलावा बुलियन के रूप में सोने के इम्पोर्ट पर 10% और ज्वैलरी के इम्पोर्ट पर 15% इंपोर्ट ड्यूटी लगती है। जीएसटी में इंपोर्ट ड्यूटी जारी रहेगी।
जेम्स (रत्न) प्रोसेसिंग 2% महंगी होगी, एक्सपोर्ट पर होगा असर
– रफ डायमंड पर 0.25% और मूंगा-पन्ना जैसे रंगीन रत्नों पर 3% टैक्स लगाया गया है। इससे रत्न कारोबारियों को एक्सपोर्ट पर असर पड़ने की आशंका है।
– उनका कहना है कि रंगीन रत्नों की प्रोसेसिंग लागत 2% बढ़ने से ग्लोबल बाजार में हमारे रत्न महंगे होंगे। रत्नों की प्रोसेसिंग में 20% वेस्टेज होता है। एक्सपोर्टर्स को वेस्टेज पर भी टैक्स चुकाना पड़ेगा, जो वापस नहीं आएगा। इससे लागत बढ़ेगी।
जीएसटी में रजिस्ट्रेशन से जुड़ी हर जानकारी- 20 लाख रु. से ज्यादा टर्नओवर है तो रजिस्ट्रेशन और रिटर्न जरूरी

रजिस्ट्रेशन किसके लिए जरूरी है?
टैक्सेबल वस्तु या सेवा की सप्लाई करने वाले और जिनका सालाना टर्नओवर पिछले फाइनेंशियल ईयर में 20 लाख रुपए से ज्यादा था। नॉर्थईस्ट और स्पेशल कैटेगरी के राज्यों में यह सीमा 10 लाख रुपए है। यहां टर्नओवर से मतलब एक ही पैन से टैक्सेबल और छूट दोनों तरह की वस्तुओं/सेवाओं की सप्लाई से है। कुछ एक्सपोर्ट किया तो वह भी शामिल होगा। रजिस्ट्रेशन के लिए पैन, ईमेल आईडी और मोबाइल नंबर जरूरी हैं। नए रजिस्ट्रेशन 1 जुलाई से शुरू होंगे। असेसी को उन सभी जगहों के बारे में बताना पड़ेगा जहां से वह बिजनेस करता है।
रजिस्ट्रेशन किसके लिए जरूरी नहीं है?

एग्रीकल्चर प्रोडक्ट्स बेचने वाले किसान, नॉन-टैक्सेबल और छूट वाली वस्तुओं/सेवाओं के सप्लायर के लिए रजिस्ट्रेशन जरूरी नहीं। जिन कारोबारियों के लिए जरूरी नहीं, वे भी रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं।
20 लाख से कम टर्नओवर वाले किसी कारोबारी के लिए रजिस्ट्रेशन जरूरी नहीं है?
एक राज्य से दूसरे राज्य में टैक्सेबल वस्तु/सेवा के सप्लायर, रिवर्स चार्ज में जिन्हें टैक्स चुकाना है, ई-कॉमर्स ऑपरेटर और उनके प्लेटफॉर्म से सामान बेचने वालों के लिए रजिस्ट्रेशन जरूरी है- भले ही टर्नओवर 20 लाख से कम हो।

रजिस्ट्रेशन के बाद किसी कारोबारी ने बिजनेस नहीं किया तो?
एक बार रजिस्ट्रेशन हो गया तो रिटर्न फाइल करना जरूरी होगा। भले ही कुछ न बेचा हो। वैसी स्थिति में ‘निल रिटर्न’ फाइल करना होगा।
पुराने कारोबारियों के लिए क्या नियम हैं?
सेंट्रल एक्साइज, सर्विस टैक्स और वैट के तहत रजिस्टर्ड कारोबारियों को नए रजिस्ट्रेशन की जरूरत नहीं। वे जीएसटीएन पर माइग्रेट होंगे। उन्हें पहले प्रोविजनल रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट मिलेगा। वेरिफिकेशन के बाद फाइनल रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा। माइग्रेशन के लिए विंडो 15 जून तक खुली है।

आवेदन जमा करने के कितने दिनों में रजिस्ट्रेशन नंबर मिल जाएगा?
आवेदन में सारी जानकारियां सही पाई गईं तो केंद्र और राज्य सरकार के अफसर तीन दिन में जवाब देंगे। अगर वे कोई कमी बताते हैं तो कारोबारी को सात दिनों में उसे दूर करना पड़ेगा। इसके बाद एप्लिकेशन स्वीकार या रिजेक्ट करने के लिए अधिकारियों के पास सात दिनों का वक्त होगा। अफसर सात दिनों में जवाब नहीं देते हैं तो पोर्टल स्वत: रजिस्ट्रेशन जेनरेट कर देगा। एप्लिकेशन रिजेक्ट करने पर उसका कारण भी बताया जाएगा। केंद्र (सीजीएसटी) या राज्य (एसजीएसटी) में से कोई एक आवेदन खारिज करता है तो दूसरे के पास भेजा गया आवेदन भी खारिज माना जाएगा।
सर्टिफिकेट कहां मिलेगा? यह कैसा होगा?

जीएसटी पोर्टल से रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट डाउनलोड किया जा सकता है। जीएसटी आइडेंटिफिकेशन नंबर का फॉर्मेट xxyyyyyyyyyyzz1 होगा। इसमें x राज्य का कोड, y पैन और z एंटिटी कोड होगा।
बिना रजिस्ट्रेशन के कोई कारोबारी दूसरों से टैक्स या इसका क्रेडिट ले सकता है?
नहीं। बिना रजिस्ट्रेशन के वह न तो ग्राहक से टैक्स ले सकेगा और न ही सरकार से इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने का हकदार होगा

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