भारतीय स्टेट बैंक द्वारा पात्र संस्थागत नियोजन (क्यूआईपी) के जरिये बाजार से जुटाई गई15,000 करोड़ रपये की राशि बैंक के लिये सकारात्मक है और इससे पूंजी के लिये बैंक की सरकार पर निर्भरता कम होगी। अमेरिका की साख निर्धारण एजेंसी मूडीज ने यह कहा है।
अमेरिका की इस एजेंसी ने एक रिपोर्ट में कहा है कि सरकार की तरफ से बैंक में किये जाने वाले किसी भी तरह के पूंजीकरण से बैंक का पूंजी आधार और मजबूत होगा। भारतीय स्टेट बैंक ने पिछले सप्ताह पात्र संस्थागत नियोजन :क्यूआईपी: के जिरये बाजार से 15,000 करोड़ रपये की पूंजी जुटाई थी।
रेटिंग एजेंसी ने कहा है, बैंक ने जो पूंजी जुटाई है वह उसकी साख के लिये सकारात्मक है क्योंकि इससे बैंक का पूंजीकरण मजबूत होगा और इससे इसकी रिण वृद्वि का सहारा मिलेगा। बैंक को बासेल-तीन नियमों के तहत अधिक पूंजी की जरूरत होगी। एजेंसी ने कहा है कि इस पूंजी के जुटाने के बाद बैंक बासेल-तीन के नियमों के तहत मार्च 2018 के अंत तक 7.8 प्रतिशत और मार्च 2019 के अंत तक 8.6 प्रतिशत इक्विटी पूंजी हासिल करने में कामयाब रहेगा।
मूडीज ने कहा है, बैंक ने जो पूंजी जुटाई है उससे पूंजी के लिये उसकी सरकार पर निर्भरता भी कम होगी और यदि सरकार से उसे कोई राशि प्राप्त भी होती है तो उसका पूंजी आधार और मजबूत होगा। एजेंसी ने कहा है कि 2016-17 की स्थिति को देखते हुये स्टेट बैंक की जोखिम भार वाली संपित्तयां 2017-18 और 2018-19 में बढ़कर 15 प्रतिशत तक पहुंच जायेंगी। मूडीज ने कहा है, ेवृद्वि के हमारे अनुमानों और इस आशंका को देखते हुये कि बैंक के मुनाफे पर रिण लागत का ज्यादा असर होगा हमें इस निष्कर्ष तक पहुंचाती है कि मार्च 2018 के अंत तक बैंक की टीयर-एक इक्विटी अनुपात करीब 10.1 प्रतिशत और मार्च 2019 के अंत तक 9.5 प्रतिशत तक रहेगा।