जनता दल (यूनाइटेड) के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और नेता शरद यादव पीछे हटने वालों में से नहीं हैं। साल 2010 में महिला आरक्षण बिल और पिछले साल नोटबंदी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जैसे मुद्दों को नीतीश कुमार द्वारा खारिज करवाने के बावजूद शरद यादव यह कोशिश कर रहे थे कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष अपना उम्मीदवार उतारे, जबकि नीतीश पहले ही एनडीए के उम्मीदवार राम नाथ कोविंद को समर्थन देने की बात खुलकर कह चुके हैं। आखिरकार नीतीश कुमार शरद यादव को मनाने में कामयाब रहे। हालांकि अब शरद यादव ने अपनी मुहिम बदल दी है। अब उनकी योजना किसानों के मुद्दे पर विपक्ष को एकजुट करना है। उनका मानना है कि जेडीयू इस मुद्दे पर विपक्ष का ही साथ देगा।
गौरतलब है कि एनडीए की ओर से गत 19 जून को बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजभवन जाकर कोविंद से मुलाकात कर अपना सम्मान प्रकट किया था। इसके बाद बुधवार को पार्टी की कोर समिति की पटना में बैठक हुई। बैठक के बाद प्रधान महासचिव के सी त्यागी ने कहा, “पार्टी ने राष्ट्रपति चुनाव में राजग उम्मीदवार और बिहार के पूर्व राज्यपाल कोविंद को समर्थन देने का फैसला लिया है।”
ऐसे कयास लग रहे हैं कि बिहार में जेडीयू और उसके सहयोगी के बीच दरार देखने को मिल सकती है और फिर नीतीश के लिए बिहार सीएम बने रह पाना और मुश्किल हो सकता है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जनता दल (युनाइटेड) द्वारा कोविंद के समर्थन का स्वागत किया और अन्य पार्टियों से भी उनका समर्थन करने की अपील की। केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा, “जद (यू) के अध्यक्ष नीतीश कुमार द्वारा रामनाथ कोविंद के समर्थन की घोषणा का मैं स्वागत करता हूं, जिन्हें विपक्षी पार्टियों के साथ विचार-विमर्श के बाद राजग की तरफ से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया है।”