Wednesday, April 17, 2024
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UP का किसान कर्ज-GST-मानसून के तिहरे संकट में

SI News Today

लखनऊ. यूपी के किसान खरीफ की फसल को लेकर कर्जमाफी, जीएसटी और मानसून की अनिश्चितता के तिहरे संकट में फंस गया है। प्रदेश सरकार ने कर्जमाफी के एलान के साथ बैंकों से वसूली का नोटिस न जारी करने का अनुरोध तो कर दिया है, लेकिन किसानों का कर्ज चुकता न होने के कारण बैंक उन्हें धान की फसल के लिए नए ऋण नहीं दे रहा है। बैंक अधिकारी कह रहें हैं कि पिछले ऋण को चुकता किए बिना किसान को नया लोन देना संभव नहीं है। वे किसान लोन ले सकते हैं जिनके ऊपर लोन बकाया नहीं है। आगे पढ़‍िए जीएसटी के कारण बढ़ जाएंगे खाद के दाम…

-जीएसटी लागू होने के कारण 1 जुलाई से रासायनिक खादों के दाम बढ़ने जा रहे हैं। इस बीच मानसून के रूख ने किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें गहरी कर दी है।

-किसानों के लिए आगे का रास्ता तभी खुलेगा, जब प्रदेश सरकार कर्ज माफी की रकम बैंकों तक पहुंचा देगी। यह विधानसभा के बजट सत्र के बाद अगस्त तक ही संभव होगा।

-प्रदेश में 86 लाख लघु और सीमांत किसानों के 36 हजार करोड़ से अधिक कर्ज माफी की घोषणा की गई है।

-किसानों के खाते में कर्जमाफी की रकम पहुंचने के पहले ही जीएसटी के कारण यूरिया के दाम में करीब 20 रुपए डीएपी के दाम में 138 रुपए प्रति बैग सहित सभी उर्वरकों की कीमतें बढ़ रही है।

-इसके साथ हाईब्रिड बीजों पर भी 5 फीसदी जीएसटी लगने से उनकी कीमतें बढ़ जाएंगी।

-कृभकों सहित दूसरी कंपनियों ने खादों की कीमतों में इजाफा करने का एलान भी कर दिया है, जबकि पिछले दिनों यूपी के दौरे पर आए नीति आयोग ने प्रदेश में कृषि उत्पादकता में वृद्धि को सर्वोच्च प्राथमिकता बताया था।

क्या कहते हैं क‍िसान नेता
-किसान नेता बीएम सिंह के मुताबिक, प्रदेश सरकार किसानों के साथ मजाक कर रही है। खरीफ की फसल की बोआई के दौरान किसानों को लोन से वंचित कर दिया गया है, जबकि सरकार विधानसभा की पिछली बैठक में बजट पारित कर लेती तो कर्जमाफी के बाद नए लोन मिल सकते थे

-किसान क्रेडिट कार्ड से प्रति हेक्टयर डेढ़ लाख रुपए तक का लोन मिलता है। लोन बकाया होने के कारण किसान सहकारी समितियों से खाद और उन्नतशील बीज की सुविधा का लाभ नही उठा सकेंगे।
क्या कहते हैं कृष‍ि वैज्ञान‍िक

-कृषि विज्ञानि‍क डॉ.संजय सिंह के मुताबिक, किसानों की समस्या कर्जमाफी और खादों की कीमत ही नहीं है। वह मानसून की अनिश्चितता से भी परेशान हैं। अगले एक-दो हफ्ते तक जमकर बारिश नहीं हुई तो धान की बोआई प्रभावित हो जाएगी।

-यूपी में गेंहू और धान मुख्य फसल हैं, जबकि अनाज की उत्पादन वृद्धि दर 1 फीसदी के आसपास है। 2016-17 में प्रदेश में 59.66 लाख हेक्टेयर में धान की खेती से 143.96 लाख मीट्रिक टन धान का उत्पादन हुआ था। इस बार 151.30 लाख मीट्रिक टन धान को उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।

-यूपी के किसान खरीफ मौसम में धान, मक्का, ज्वार, बाजरा, तिल, उर्द, मूंग, अरहर, मूंगफली, तिल और सोयाबीन जैसी फसलों की बोआई करते हैं।

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