Thursday, April 18, 2024
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इस मशहूर कॉलेज में छात्रों को सिखाया जा रहा है फेल होना

SI News Today

अमेरिका के मैसचुसट्स में स्थित स्मिथ कॉलेज में छात्रों अन्य कॉलेजों की तरह शिक्षा नहीं दी जाती। बल्कि यहां छात्रों को ‘असफलता ही सफलता की कुंजी है’ के तहत शिक्षा दी जा रही है। कॉलेज में छात्रों को सिखाया जाता है कि फेल कैसे हों यानी असफलता को कैसे स्वीकार करें। कॉलेज में ‘फेलिंग वेल’ नाम से एक क्लास भी चलाई जाती है। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार यहां छात्र अपनी कमियों के बारे में बिना किसी परेशानी के खुलकर बाततीच करते हैं। कॉलेज में ऐसे कामयाब लोगों को बुलाया जाता है जो कॉलेज के दिनों में बेहतर छात्र नहीं थे। दरअसल इस क्लास को शुरू करने का मकसद छात्रों को बताना है कि जीवन के किसी मोड़ पर फेल होना कोई बुरी बात नहीं है। बल्कि सभी को अपनी असफलता को स्वीकार करने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। रिपोर्ट के अनुसार कॉलेज में करीब आधे से ज्यादा छात्रों ने बी ग्रेड से कम अंक हासिल किए हैं। कॉलेज की सबसे खास बात है कि यहां अपनी असफलता साझा करने की भी एक प्रतियोगिता होती है। प्रतियोगिता के दौरान एक छात्र ने बताया कि वो अपनी पहली लिखित परीक्षा में फेल हो गया था। वहीं अन्य छात्र ने बताया कि मेरी मोम ने मुझसे कई बार पूछा कि मैं ग्रेजुएशन कब तक कर पाऊंगा। इस दौरान कॉलेज के भी कई शिक्षकों ने अपने अनुभव साझा किए।

कॉलेज में अंग्रेजी के प्रोफेसर ने बताया कि मैं कॉलेज के दिनों में कई बार फेल हुआ। साहित्य और अमेरिकन स्टडीज के एक स्कॉलर ने बताया कि मैंने ‘चॉकलेट केअरमेल्स शीर्षक’ से एक कविता लिखी। जिसे अबतक 21 से ज्यादा पत्रिकाओं ने रिजेक्ट किया है। राचेल साइमन नाम की एक एक्सपर्ट स्मिथ वर्टल सेंटर फॉर वर्क ऐंड लाइफ में लीडरशिप डिवेलपमेंट स्पेशलिस्ट हैं। वह स्कॉलरशिप प्रोग्राम से ड्रॉप आउट हैं और काफी सालों तक शर्म से इस बात को छिपाती रहीं। अब उनका कहना है कि सीखने-सिखाने की प्रक्रिया में असफलता एक अहम घटक है। अब वह कैंपस में फेलियर एक्सपर्ट हैं और गर्ल्स सेल्फ स्टीम नाम से एक पुस्तक लिखी है। कॉलेज में पढ़ रहे एक 20 साल के छात्र ने बताया, ‘कॉलेज में हर छात्र महसूस करता है कि वो किसी प्रतियोगिता में भाग ले रहा है। जिससे वो काफी तनावग्रस्त महसूस करता है। ऐसे में हमने एक ऐसी क्लास शुरू करने की सोची जहां फेल हो चुके छात्रों को अपने अनुभव साझा करने का मौका दिया जा सके। मेरा यह विचार कॉलेज में पढ़ रहे अधिकतर छात्रों को पसंद आया। जिसके बाद हमने इस तरह की क्लास की शुरुआत की।’

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