चीन को रविवार (दो जुलाई) को तब बड़ा झटका लगा जब उसका मालवाहक देश उसके सबसे भारी उपग्रह को अंतरिक्ष में स्थापित करने में नाकाम रहा। चीन ने रविवार को दूसरी बार “लॉन्ग मार्च-5 वाई-2” नामक हेवी-लिफ्ट कैरियर रॉकेट की मदद से प्रक्षेपण किया था। चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार प्रक्षेपण के दौरान चीन के हैनान प्रांत स्थि वेनचांग अंतरिक्ष प्रक्षेपण केंद्र से शाम स्थानीय समयानुसार सात बजकर 23 मिनट पर रॉकेट की उड़ान के दौरान अनियमितता का पता चला। रिपोर्ट के अनुसार चीनी अंतरिक्ष एजेंसी प्रक्षेपण के विफल रहने की जांच कर रही है।
चीन के सरकारी टीवी पर इस प्रक्षेपण का सजीव प्रसारण किया जा रहा था। शुरूआत में वैज्ञानिकों को लगा कि प्रक्षेपण सफल रहा है क्योंकि लॉन्चिंग में कोई दिक्कत नहीं आई थी। बाद में समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने खबर दी की रॉकेट प्रक्षेपण नाकाम रहा। “लांग मार्च-5” को पहली बार वेनचांग से नवंबर 2016 में प्रक्षेपित किया गया। पहली बार लॉन्ग मार्च-5 को शिजियान-18 नामक रॉकेट से अंतरिक्ष में भेजा गया था।गया । लॉन्ग मार्च-5 पृथ्वी की निचली कक्षा में 25 टन वजन तक और ऊपरी कक्षा में 14 टन वजन का तक का भार लेकर जा सकता है।
चीन के चांग-5 चंद्र अभियान पर रवाना किये जाने से पहले लांग मार्च-5 श्रृंखला के लिए यह अंतिम प्रक्षेपण अभियान था। खबर में बताया गया था कि 7.5 टन वजनी शिजियान-18 चीन का नवीनतम तकनीकी प्रयोग उपग्रह है और अंतरिक्ष के लिए चीन ने अब तक का सबसे वजनी उपग्रह प्रक्षेपित किया है । हालिया वर्षों में चीन ने चंद्र अभियान और फिलहाल निर्माणाधीन अंतरिक्ष स्टेशन के लिए मानवीकृत अभियान के साथ व्यापक अंतरिक्ष कार्यक्रमों की शुरूआत की है।
चीन प्रायोगिक अंतरक्ष स्टेशन बना रहा है जिसके 2022 तक सक्रिय हो जाने की उम्मीद की जा रही है। चीन पिछले कुछ सालों से अपनी अंतरिक्ष परियोजनाओं को लेकर काफी महत्वाकांक्षी तरीके से काम कर रहा है। चीन अंतरिक्ष विज्ञान में अमेरिका, रूस और यूरोेपीय देशों से होड़ ले रहा है।