देश में आजादी के बाद का सबसे बड़ा कर सुधार वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) 1 जुलाई, 2017 से लागू हो गया। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद भवन के सेंट्रल हॉल में एक साथ बटन दबाकर जीएसटी को लागू किया था। जीएसटी में 17 छोटे-बड़े करों को समाहित किया गया है। जीएसटी पर 14 वर्षो के विचार-विमर्श के बाद लागू किया गया है। मोदी ने जीएसटी को ‘गुड एंड सिंपल टैक्स’ बताते हुए कहा था कि शुरुआत में थोड़ी समस्या होगी लेकिन उचित समय पर सभी इससे परिचित हो जाएंगे। उन्होंने कहा था, “हम देश के उज्ज्वल भविष्य का मार्ग प्रशस्त करने पर विचार कर रहे हैं। हम जीएसटी के लांच के साथ आज मध्यरात्रि से एक नया अध्याय शुरू करने जा रहे हैं, जो किसी एक पार्टी या सरकार की उपलब्धि नहीं है बल्कि यह सामूहिक विरासत है। यह हमारे सामूहिक प्रयासों का नतीजा है।” जीएसटी को अंतिम रूप देने के लिए केंद्रीय कैबिनेट की कई बैठकें हुईं, जिनमें सभी वरिष्ठ मंत्री मौजूद रहते थे। ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार (6 जुलाई, 2017) को दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान बताया कि कैबिनेट बैठकों के दौरान जब भी जीएसटी पर चर्चा होती या उसका जिक्र आता, तो पीएम मोदी जरूर पूछते, ‘क्या ये जनता और राष्ट्र के हित में है? अगर है तो यही वक्त है (लागू करने का)।”
आगामी महीनों में जीएसटी परिषद और केंद्रीय और राज्य सरकारें लगातार इसकी समीक्षा करेंगी और इसमें सुधार करेंगी। संसद में इस पर बोलते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा था, ”जीएसटी का लागू होना देश के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण क्षण है। यह ऐतिहासिक क्षण उस 14 वर्ष की यात्रा की समाप्ति है, जो दिसंबर 2002 में शुरू हुई थी। जब केलकर टास्क फोर्स ने मूल्य वर्धित कर सिद्धांत के आधार पर एक समग्र वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का सुझाव दिया था।”
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का क्रियान्वयन कर देश इतिहास रच रहा है। एक कर, एक देश और एक बाजार की व्यवस्था के साथ देश के समक्ष आर्थिक स्तर पर व्यापक संभावनाएं खुलेंगी।