Saturday, April 20, 2024
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अस्पताल ने नहीं दी एंबुलेंस तो रिक्शा में रखकर लाना पड़ा शव

SI News Today

उत्तर प्रदेश में एक बार फिर प्रशासन की लापरवाही सामने आई है। यहां सूबे के बांदा में शव को ले जाने के लिए एंबुलेंस मुहैया ना कराए जाने के बाद रेलवे पुलिस (जीआरपी) के कांस्टेबल को शव रिक्शा में रखकर ले जाना पड़ा। न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार घटना बीते शनिवार (8 जुलाई, 2017) की है। बता दें कि यूपी में ये कोई पहला मामला नहीं है इससे पहले भी कौशांबी में एक शख्स को एंबुलेंस ना मिलने पर सात महीने की भतीजी का शव कंधे पर रखकर करीब 10 किलोमीटर का रास्ता साइकिल से तय करना पड़ा था। बीते महीने मिर्जापुर में एक भाई को अपनी शादीशुदा बहन को कंधे रखकर अस्पताल ले जाना पड़ा था। वहीं सूबे के ही इटावा में जिला अस्पताल से एक 45 साल के पिता को बेटे का शव कंधे पर रखकर ले जाना पड़ा। क्योंकि अस्पताल ने शव को घर ले जाने के लिए एंबुलेंस तक मुहैया नहीं कराई। जानकारी के अनुसार बांदा स्टेशन पर शनिवार शाम को एक शख्स का शव मिला। जिसके बाद सूचना मिलते ही जीआरपी के कांस्टेबल मौके पह पहुंचे। जहां मृतक की पहचान रामश्री के रूप में की गई। मृतक की उम्र करीब 35 साल थी जोकि घटनास्थल से करीब 15 किलोमीटर दूर महोत्रा गांव का रहने वाला था। मृतक की पहचान के बाद पुलिस ने इसकी जानकारी सबसे पहले मृतक के परिवार वालों को दी। फिर 108 नंबर पर एंबुलेंस को फोन किया गया, मगर वहां से कोई जवाब नहीं मिला। बाद में मुक्तिधाम गैर सरकारी संस्था से एंबुलेंस मांगी गई, लेकिन वहां से भी एंबुलेंस मुहैया नहीं कराई गई। जिसके बाद खुद जीआरपी के कांस्टेबल शव को रिक्शे में रखकर पोस्टमॉर्टम के लिए ले गए।

जानकारी के लिए बता दें कि यूपी के ही मिर्जापुर में 28 जून (2017) को 108 एंबुलेंस नहीं मिलने पर एक भाई अपनी शादीशुदा बहन को कंधे पर रखकर अस्पताल के जाना पड़ा था, लेकिन रास्ते में बहन की मौत हो गई। बाद में परिवार वालों ने आरोप लगाया था कि उन्होंने एम्बुलेंस की मांग की थी, लेकिन वह एक घंटे तक नहीं पहुंची। बहन को तड़पता देख भाई उसे कंधे पर उठाकर जिला अस्पताल के लिए निकल पड़ा। वह करीब 200 मीटर ही गया था कि बहन ने उसके कंधे पर ही दम तोड़ दिया। इससे पहले यूपी के कौशांबी में 12 जून को ऐसा ही मामला सामने आया था। जहां एक शख्स को अपनी सात महीने की भांजी का शव कंधे पर लादकर हॉस्पिटल से 10 किलोमीटर दूर साइकिल से घर ले जाना पड़ा था। इस मामले में पीड़ित परिवार ने आरोप लगाया था कि सरकारी अस्पताल ने एंबुलेंस के लिए उनसे 800 रुपए की मांग की थी।

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