भारत ने अन्य 18 जी20 सदस्य देशों के साथ जलवायु परिवर्तन के लिए 2015 में किए गए पेरिस जलवायु समझौते के प्रति एक बार फिर अपना मजबूत समर्थन दोहराया है। जबकि इस मामले में अमेरिका ने अलग रास्ता अपनाया है। दो दिवसीय जी20 समिट के दूसरे दिन (8 जून, 2017) भारत सहित अन्य देशों ने कहा कि पेरिस डील से पीछे नहीं हटा जा सकता है। अमेरिका को छोड़ बाकी देशों ने संयुक्त राष्ट्र के उस संकल्प को पूरा करने के महत्व को दोहराया जिसमें साफ ऊर्जा के इस्तेमाल को बढ़ाने और क्लाइमेट के खतरों से लड़ने के लिए विकसित देश गरीब और विकासशील देशों की मदद करेंगे। इस दौरान विश्व में आतंकवाद के खात्मे, विश्व व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया। साझा ब्यान में इन देशों ने पेरिस समझौते के तहत हुए वादों को तेजी से पूरा करने पर जोर दिया। 12 दिसंबर, 2015 को जलवायु परिवर्तन के खतरे और दुनिया के तापमान को बढ़ने से रोकने के लिए पेरिस में करीब 190 देशों ने एक संधि की जिसमें सभी देशों ने ग्लोबल वॉर्मिंग और कार्बन के उत्सर्जन को रोकने के लिए साफ ऊर्जा के लिए अपने लक्ष्य तय किए थे। बता दें कि जी20 समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित विश्व के टॉप लीडरों ने इसमें भाग लिया।
हालांकि अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पद भार संभालने के बाद ही जून में पेरिस डील से बाहर आने का ऐलान कर दिया था। ट्रंप का कहना है कि जलवायु परिवर्तन चीन जैसे देशों का खड़ा किया हुआ हौव्वा है। उनके मुताबिक भारत और चीन जैसे देशों को अमेरिका को अरबों डॉलर देने होंगे जो अमेरिका के हित में नहीं हैं। इससे साफ हो गया है कि अमेरिका पेरिस समझौते से बाहर आ गया है और वह तत्काल प्रभाव से उन कोशिशों को रोक देगा जो वादे पेरिस डील में किए गए हैं। बयान में ये भी कहा गया है कि अमेरिका पूरी दुनिया के देशों को पारम्परिक ईंधन ज्यादा प्रभावी तरीके से और साफ सुथरे तरीके से इस्तेमाल करने में मदद करेगा। साझा बयान से साफ है जहां अमेरिका के पक्ष के जगह मिली है वहीं बाकी देशों ने जलवायु परिवर्तन से लड़ने में एकजुटता दिखाई है। जलवायु परिवर्तन का अगला सम्मेलन जर्मनी के बोन में इसी साल नवंबर में होना है। बता दें कि समूह अगले साल अर्जेंटीना, 2019 में जापान और 2020 में सऊदी अरब में मिलने पर सहमत हो गया है।