जम्मू-कश्मीर में एक आतंकी को वैश्विक आतंकी संगठन आईएसआईएस के झंडे में लपेटकर दफनाने का मामला सामने आया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ऐसा पहली बार जब किसी आतंकी को आईएसआईएस के झंडे में लपेटकर दफनाया गया हो। घटना बीते बुधवार (12 जुलाई, 2017) की है जहां सैकड़ों की तादाद में आतंकी सज्जाद गिलकर के जनाने में लोग शरीक हुए। इस दौरान कई लोगों ने पिछले साल मारे गए हिजबुल कमांडर बुहरान वानी और उसके साथी जाकिर राशिद उर्फ मूसा की तस्वीरों के साथ आईएसआईएस के झंडे फहराए। इससे पहले एनकाउंटर मारे गए आतंकी का शव पाकिस्तानी झंडे में लपेटकर दफनाया गया था। बता दें कि आतंकी सज्जाद गिलकर श्रीनगर का रहने वाला था। जिसे बुधवार को मुठभेड़ में अन्य दो हिजबुल आतंकियों के साथ मौत के घाट उतार दिया था। पुलिस ने सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर बताया कि बीते दिनों भीड़ द्वारा डीएसपी अय्युब पंडित की हत्या में सज्जाद ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। खबर के अनुसार गिलकर की जनाजे की नमाज उसी जमिया मस्जिद के आंगन में पढ़ाई गई जहां 22 जून (2017) को भीड़ ने अय्युब पंडित की हत्या कर दी थी।
सूत्रों के अनुसार पुलिस अय्युब पंडित की हत्या के लिए गिलकर को दोषी मान रही है। हालांकि इस मामले में एसआईटी की रिपोर्ट दाखिल करना बाकी है। वहीं पुलिस ने आगे बताया कि गिलकर की हत्या के बाद आंतकी सज्जाद गिलकर अंडरग्राउंड हो गया और बाद में हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल हो गया। गिलकर 2 अप्रैल (2017) को नौहट्टा सीआरपीएफ पर हुए ग्रेनेड हमले में भी शामिल था। 11 जून को (2017) सफा कदल हमले और 30 अप्रैल (2017) को खन्यार में पुलिस पार्टी हुए हमले में भी सज्जाद मुख्य रूप से शामिल था। बता दें कि नौहट्टा में सज्जाद गिलकर के जनाजे में सैकड़ों लोग शामिल हुए। जनाजे में बहुत सी महिलाएं भी शामिल हुईं। जोकि मातम मनाते हुए कह रही थीं कि कौम ए बहादुरो, करयो गौर गौरो (देशों के वीरों, तुम्हे लॉरी सुनाते हैं।)