हुसैनगंज कोतवाली में उत्तर प्रदेश राज्य सहकारी कृषि एवं ग्राम्य विकास बैंक लिमिटेड में करोड़ों के घोटाले के मामले में 14 साल बाद एफआइआर दर्ज कराई गई है। विभागीय जांच के बाद अधिकारी पूरे मामले को दबाए बैठे थे। ताज्जुब की बात यह है कि मुकदमा तब दर्ज कराया गया, जब आरोपित सचिव सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
हुसैनगंज कोतवाली के एसएसआइ एससी शुक्ला के मुताबिक उप्र राज्य सहकारी कृषि एवं ग्राम्य विकास बैंक के सचिव राजकुमार यादव की तहरीर पर वर्ष 2010 में सेवानिवृत्त हो चुके कर्मचारी गोंडा निवासी मजहर हुसैन के खिलाफ व धोखाधड़ी की रिपोर्ट दर्ज कराई है।
एसएसआइ के मुताबिक सहकारी बैंक की समिति कर्मचारियों के ईपीएफ के धन को विभिन्न कंपनियों में निवेश कर ब्याज कमाती हैं। वर्ष 2003 में 12 कंपनियों में करीब 17 करोड़ रुपये निवेश किया गया था। आरोप है कि तत्कालीन सचिव मजहर हुसैन ने मध्य प्रदेश की एमपी एसआइडीसी कंपनी को बिना अनुमोदन के करोड़ों रुपये दे दिया था।
कंपनी द्वारा मूलधन के 68 लाख रुपये व ब्याज के करीब 1.25 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया। विभागीय अनियमितता कर सरकारी धन का गबन किया। बताया गया कि तत्कालीन मुख्य महाप्रबंधक ने मामले की जांच में पाया था कि विभिन्न कंपनियों को एजेंटों के जरिए रकम दी गई थी। जिसमें अधिकारियों ने कमीशन खाया था।
इंस्पेक्टर हुसैनगंज राजकुमार सिंह के मुताबिक मामले की विभागीय जांच हो चुकी है। इसके बावजूद रिपोर्ट नहीं दर्ज कराई गई थी। अब लंबे अंतराल के बाद पुलिस को तहरीर दी गई, जिसके आधार पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया है और इसकी जांच ईओडब्ल्यू से कराने के लिए पत्र लिखा गया है।