Thursday, April 18, 2024
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विस्फोटक पीईटीएन जांच करेगी हैदराबाद फोरेंसिक लैब

SI News Today

विधानमंडप में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी के पीछे मिले विस्फोटक पाउडर पीईटीएन की जांच को लेकर आगरा फोरेंसिक लैब के वैज्ञानिकों ने चुप्पी साध ली है। जांच को लेकर सवाल उठने शुरू हैं। अधिकारियों ने आगरा में इसकी जांच की जिम्मेदारी लेने से कतराना शुरू कर दिया है। आज राज्य सरकार के बयान के बाद कि नमूनों को जांच के लिए आगरा नहीं भेजा गया। एटीएस और पुलिस भी बैकफुट पर आ गई। शाम गृह सचिव के बयान ने कि नमूनों की जांच लखनऊ स्थित प्रयोगशाला में ही हो रही है इसे और उलझा दिया। जबकि, आगरा विधि विज्ञान प्रयोगशाला ने सोमवार रात इसकी पुष्टि की थी कि वहां जांच चल रही है और इसके लिए छह लोगों की समिति भी बनाई गई है।

अधिकारियों के बयान के बाद फिलहाल आगरा लैब के अधिकारियों ने चुप्पी साध ली है और उनके मोबाइल फोन बंद हैं। इधर एंटी टेररिस्ट सेल ने कहा है कि नमूने हैदराबाद फोरेंसिक लैब भी भेजे जाएंगे। एटीएस हमेशा दो लैब में जांच कराता है।  विधानसभा के विधानमंडप में 12 जुलाई को मिले विस्फोटक पाउडर की प्रारंभिक जांच लखनऊ स्थित विधि विज्ञान प्रयोगशाला में हुई थी जिसमें इसकी पहचान पीईटीएन (पेंटाइरीथ्रीटोल टेट्रानाइट्र्ेट) के रूप में हुई थी। इसके बाद नमूने 14 जुुलाई को आगरा स्थित फोरेंसिक लैब भेजे गए थे। इसे प्रयोगशाला के ही दो कर्मियों के हाथ बकेट नंबर एलकेओ-01250 पर भेजा गया। सोमवार रात अलग-अलग माध्यमों से कुछ अपुष्ट खबरें प्रकाश में आईं कि वहां की जांच में कुछ खास नहीं हासिल हुआ है। इसके बाद ही अधिकारी बैकफुट पर नजर आने लगे। सुबह सरकार की ओर से बयान आया कि नमूने आगरा नहीं भेजे गए। प्रकरण को लेकर अधिकारी इतना असहज रहे कि दोपहर तक कोई भी बयान जारी करने से बचते रहे। बाद में सचिव गृह ने बयान दिया कि जांच लखनऊ में हो रही है। सूत्रों के अनुसार इसमें कोई संशय नहीं रह गया है कि बरामद विस्फोटक पाउडर पीईटीएन है लेकिन, उसकी मारक क्षमता आकलन अभी बाकी है। आगरा फोरेंसिक लैब में इसी बात की जांच होनी है। रिपोर्ट दो-तीन दिन में जारी हो सकती है।

उलझाने वाले सवाल

सब जानते थे कि नमूने आगरा भेजे गए हैं। फिर अधिकारियों ने अचानक ही इससे किनारा करना क्यों शुरू किया।

बिना सुरक्षा प्रक्रिया अपनाए पीईटीएन के नमूने आगरा फोरेंसिक लैब कैसे भेज दिए गए

उस अधिकारी के सुपरविजन में जांच क्यों, जिस पर कई आरोप हैं और उसकी प्रारंभिक रिपोर्ट को सही कैसे मान लिया गया

ऐसा कैसे संभव है कि जांच एजेंसी की जानकारी के बिना लखनऊ विधि विज्ञान प्रयोगशाला ने नमूने आगरा भेज दिए।

पांच दिन बाद अचानक ही इस बात की सफाई क्यों दी गई कि लखनऊ स्थित विधि विज्ञान प्रयोगशाला में जांच हो रही।

सिर्फ जीडी के आधार पर ही पाउडर की जांच क्यों शुरू करा दी गई। पहले एफआइआर दर्ज कराई जाना चाहिए थी

नमूने हैदराबाद भेजे जाएंगे

आइजी एटीएस असीम अरुण ने कहा कि हमने जांच के नमूने विधि विज्ञान प्रयोगशाला लखनऊ भेजे हैं। वह अपनी किस शाखा से जांच कराता है, यह हमारा विषय नहीं। एटीएस हमेशा दो लैब से जांच कराती है। अब पाउडर के नमूने हैदराबाद भेजे जाएंगे।सचिव गृह भगवान स्वरूप ने बताया कि इस पूरे मामले में विधि विज्ञान प्रयोगशाला, लखनऊ के अधिकारियों से समय से और गुणवत्तापरक रिपोर्ट मांगी गई है। प्रयोगशाला के प्रभारी का काम एडीजी (टेक्निकल सुपरवाइजर) के पास है। उनसे जवाब मांगा गया है। विभागीय सूत्रों के अनुसार नमूनों की जांच के लिए वहां के संयुक्त निदेशक एके मित्तल ने जो टीम बनाई है, उसमें विष वैज्ञानिक भी शामिल हैं। इसमें उप निदेशक केके वर्मा, सुरेंद्र यादव, डा. अजय कुमार, जयराजवीर और प्रमोद कुमार आदि शामिल हैं।

आगरा के वैज्ञानिकों ने चुप्पी साधी

विधानसभा में मिले विस्फोटक पाउडर के नमूने आगरा फोरेंसिक लैब भेजने से शासन की ओर से इन्कार किए जाने के बाद यहां के वैज्ञानिकों ने चुप्पी साध ली। लैब सूत्रों का कहना है कि सोमवार सुबह से लेकर शाम तक लैब के एक्सप्लोसिव सेक्शन में वैज्ञानिकों की टीम विस्फोटक पदार्थ की जांच करती रही थी। अमूमन उन्हीं मामलों में वैज्ञानिक देर तक काम करते हैं, जो बहुत महत्वपूर्ण होते हैं और जिनकी रिपोर्ट शासन द्वारा तत्काल मांगी जाती है। यह भी ऐसा ही मामला है। वैसे बम विस्फोट और विस्फोटक पदार्थों से संबंधित लगभग सभी जांच आगरा लैब में अब तक की जाती रही हैं। मंगलवार को लैब के बाहर मीडिया कर्मियों ने डेरा डाल रखा था। इसके चलते वरिष्ठ वैज्ञानिक कार्यालय आए और सवालों से बचने को धीरे से लौट गए। उन्होंने अपने मोबाइल स्विच ऑफ कर लिए।  सूत्रों के अनुसार जांच के लिए यहां के वैज्ञानिकों की टीम लखनऊ भी जा सकती है। वह वहां के परीक्षण के बाबत रिपोर्ट हासिल करेगी।

कई चरणों में होती जांच

-संदिग्ध विस्फोटक पदार्थ का बाह्य परीक्षण किया जाता है कि वह किस प्रकृति का है।

-इसके बाद रासायनिक परीक्षण करके यह पता लगाते हैं कि विस्फोटक किस ग्र्रुप का है।

-अगले चरण में उक्त विस्फोटक पदार्थ से संबंधित सभी समूहों का परीक्षण करते हैं।

-आखिरी चरण में कंफर्म टेस्ट करके उसे क्रॉस चेक करते हैं। इसके बाद रिपोर्ट तैयार की जाती है।

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