सरकार किसानों के विकास और उनकी स्थिति सुधारने को लेकर तरह-तरह के दावे करती है और एक ओर किसान कर्ज के बोझ के तले दबकर सुसाइड करने पर मजबूर है। कुछ ऐसा ही हाल तमिलनाडु के किसानों का भी है। दिल्ली के जंतर-मतर पर राज्य के किसान लंबे समय से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। गुरुवार को भी किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया। राहत पैकेज और कर्ज माफी की मांग को लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे तमिलनाडु के किसानों ने अपने विधायकों के सैलरी में वृद्धि किए जाने पर नाखुशी जताई है। अपने गुस्से का इजहार करते हुए किसानों ने खुद को चप्पलों से पीटा और नारेबाजी की। प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे नेशनल-साउथ इंडियन रिवर्स लिंकिंग किसान एसोसिएशन के अध्यक्ष पी अय्याकन्नु ने न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा, भारत में किसान होना भिखारी होने से भी बुरा है।
कथित तौर पर सरकार द्वारा किए गए वादे नहीं पूरे किए जाने के बाद तमिल किसानों की ओर से विरोध प्रदर्शन का दूसरा चरण नई दिल्ली में शुरू हुआ। गुरुवार को अपने आपको चप्पलों से पीटने वाले किसान पूर्व में प्रदर्शन के कई अनोखे तरीके अपना चुके हैं। जिनमें सिर मुंडवाना, अपनी मूंछों को आधा मुंडवाना, मुंह में चूहे और सांपों को दबाना। यही नहीं किसानों ने पेशाब भी पिया। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ई पलानिस्वामी ने भी जंतर-मंतर पर विरोध कर रहे किसानों से मुलाकात की थी। बरसात में 60 फीसदी की कमी के कारण तमिलनाडु को एक सदी के सबसे बुरे सूखे का सामना करना पड़ रहा है।
हाल ही में, तमिलनाडु के विधायकों की मासिक सैलरी को 55 हजार से बढ़ाकर 1 लाख 5 हजार कर दिया गया था। इसी समय, विधायकों को क्षेत्र के विकास के लिए मिलने वाले फंड को भी दो करोड़ से बढ़ाकर ढाई करोड़ किया गया था। यही नहीं मुख्यमंत्री, मंत्रियों, स्पीकर, डिप्टी स्पीकर, विपक्ष के नेता और सरकार के मुख्य सचेतक को मिलने वाले भत्तों में बढ़ोत्तरी की गई थी। यह बदलाव इस साल एक जुलाई से प्रभावी होगा।