लखनऊ: राज्य सरकार ने साहस दिखाते हुए पहली बार अपने स्तर से फीस तो तय कर दी है लेकिन, निजी मेडिकल कॉलेज सरकार की बात मानने को तैयार नहीं हैं। वे सरकार द्वारा तय फीस तो ले ही रहे हैं, साथ में हर साल की सिक्योरिटी मनी के तौर पर मोटी रकम अलग से मांग रहे हैं। फीस तय होने से राहत महसूस कर रहे अभिभावक अब इस अतिरिक्त रकम की मार से बेहाल हैं, जबकि फीस तय करने वाला चिकित्सा शिक्षा विभाग फिलहाल तय नहीं कर पा रहा कि कॉलेजों को पत्र भेजने के अलावा और क्या किया जाए।
लखनऊ में जवाहर भवन स्थित चिकित्सा शिक्षा महानिदेशालय में बुधवार को अलग-अलग पहुंचे अभिभावकों ने महानिदेशक डॉ.केके गुप्ता के सामने निजी मेडिकल कॉलेजों की मनमानी की शिकायत की। मेरठ और मुजफ्फरनगर के निजी मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के इच्छुक विद्यार्थियों के अभिभावकों ने डॉ.गुप्ता को बताया कि कॉलेज में उनसे प्रतिवर्ष दो लाख रुपये के हिसाब से कुल 10 लाख रुपये की सिक्योरिटी मनी मांगी जा रही है। यह ऐसी रकम होगी, जिस पर कोई ब्याज नहीं मिलेगा और पांच साल के दौरान कॉलेज ने यदि विद्यार्थी पर किसी नुकसान की जिम्मेदारी तय कर दी तो कॉलेज खुद ही क्षतिपूर्ति की रकम तय करके एकपक्षीय कार्यवाही करते हुए सिक्योरिटी मनी से उसे काट लेगा।
चिकित्सा शिक्षा अधिकारियों ने बताया कि सरकार द्वारा फीस तय किए जाने के बाद कई निजी मेडिकल कॉलेज फीस के अलावा अन्य रकम वसूलने के लिए नए मद बना रहे हैं। चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक डॉ. गुप्ता ने बताया कि जिन कॉलेजों की शिकायत आई है, उन्हें पत्र भेजा जा रहा है और इस मामले में पूरी जानकारी जुटाई जा रही है।