Friday, April 19, 2024
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मात्र 500 रुपए लेकर माया नगरी आए थे धीरूभाई अंबानी, बाद में अरबो का साम्राज्य किया खड़ा

SI News Today

अगर आप अपने सपने को खुद को नहीं बुनते हैं, तो कोई और आपको अपने सपनों को पूरा करने के लिए रख लेगा। यह देश के जाने माने व्यवसायी और रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन रहे धीरूभाई अंबानी के थे। धीरूभाई अंबानी को उन बिजनेसमैन में शुमार किया जाता है, जिन्होंने अपने दम पर सपने देखें और उन्हें पूरा कर पूरी दुनिया के सामने अपना लोहा मनवाया। शुक्रवार को रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन और धीरूभाई अंबानी के बेटे मुकेश अंबानी ने रिलायंस की 40वीं सालाना बैठक के दौरान कंपनी की उपलब्धियों के बारे में बताया और कंपनी की कामयाबी का श्रेय अपने पिता को दिया। धीरूभाई अंबानी के लिए कहा जाता है कि उन्होंने भारत में कारोबार के तरीकों को बदल दिया। एक भजिया बेचने वाला शख्स दुनिया के सबसे रईस लोगों में शुमार हो जाएगा, इस बात का अंदाजा किसी को नहीं था। हम आपको बताने जा रहे हैं कि धीरूभाई की कहानी।

भजिया बेचने वाले धीरूभाई बने बिजनेस टाइकून
धीरजलाल हीरालाल अंबानी उर्फ धीरूभाई अंबानी गुजरात के एक बेहद ही मामूली शिक्षक के परिवार में (28 December 1932) जन्मे थे। उन्होंने मात्र हाईस्कूल तक की शिक्षा ग्रहण की थी, पर अपने दृढ-संकल्प के बूते उन्होंने स्वयं का विशाल व्यापारिक और औद्योगिक साम्राज्य स्थापित किया। अपने शुरुआती दिनों में धीरूभाई अंबानी गुजरात के जूनागढ़ में माउंट गिरनार आने वाले तीर्थयात्रियों को बजिया बेचा करते थे। इसके बाद उन्होंने यमन के एडेन शहर में ‘ए. बेस्सी और कंपनी’ के साथ 300 रूपये प्रति माह के वेतन पर काम किया। बाद में वह भारत वापस लौट आए।

500 रुपए लेकर आए थे माया नगरी
धीरू भाई अंबानी के बारे में कहा जाता है कि जब वह गुजरात के एक छोटे से कस्बे से मुंबई आए तो उनके पास सिर्फ 500 रुपए थे। जिससे बाद में उन्होंने अरबों रुपए का साम्राज्य खड़ा कर लिया। साल 1966 में अंबानी ने गुजरात के नारौदा में पहली टैक्सटाइल मिल स्थापित की। संभवत: सिर्फ 14 महीनों में 10,000 टन पॉलिएस्टर यार्न संयंत्र स्थापित करने में विश्व रिकॉर्ड बनाया। मिल उनके लिए टर्निंग प्वाइंट साबित हुई। जिसे बाद उन्होंने इसे बड़े टैक्सटाइल एम्पायर के रूप में तब्दील किया और अपना खुद का ब्रांड विमल लॉन्च किया। वित्तीय परेशानियों के कारण धीरूभाई 10वीं के आगे की पढ़ाई नहीं कर पाए, लेकिन वह यह अच्छे से जान गए थे कि शेयर मार्केट को कैसे अपने पक्ष में करना है। जाने-माने मार्केट जानकार भी डी-स्ट्रीट पर राज करने से उनको नहीं रोक पाए।

70 करोड़ से 70 हजार करोड़ का सफर
धीरूभाई अंबानी अपनी मेहनत और विजन के दम पर ही रिलायंस इंडस्ट्री को इस मुकाम तक ले जा सके। 1976 में 70 करोड़ रुपए की कंपनी साल 2002 में 75000 करोड़ की कंपनी बन जाती है। कंपनी की इस जबरदस्त ग्रोथ ने ही इसे दुनिया की 500 कंपनियों में स्थान हासिल कराया। रिलायंस ऐसा करने वाली पहली भारतीय निजी कंपनी है। साल 2006 में फोर्ब्स ने दुनिया के सबसे रईस लोगों की सूची में धीरूभाई को 138 स्थान दिया था। इस समय उनकी संपत्ति 2.9 बिलियन डॉलर थी। उसी साल 6 जुलाई को धीरूभाई अंबानी का निधन हो गया था।

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