Thursday, March 28, 2024
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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से भागलपुर के लोगों को उम्मीद

SI News Today

नव निर्वाचित राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद मंगलवार 25 जुलाई को राष्ट्रपति पद की शपथ लेने वाले हैं। राष्ट्रपति भवन में जोर शोर से तैयारियां चल रही है। रामनाथ कोविंद के राष्ट्रपति चुने जाने के साथ ही बिहार के लोगों की उम्मीदें परवान पर है, खासकर भागलपुर के लोगों की। दरअसल 3 अप्रैल को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी बिहार के भागलपुर दौरे पर आए थे। इस दौरान प्रोटोकॉल के तहत उनके साथ रामनाथ कोविंद भी मौजूद थे जो उस वक्त बिहार के राज्यपाल थे। देश के राष्ट्रपति और पूर्व राष्ट्रपति की इस तस्वीर को देखकर उस वक्त शायद ही किसी ने सोचा होगा कि रामनाथ कोविंद राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के उत्तराधिकारी शामिल होंगे। तब भागलपुर के लोगों ने 3 अप्रैल को ही नवनिर्वाचित राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का भव्य स्वागत कर दिया था। वे राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के साथ कहलगाँव के प्राचीन विक्रमशिला विश्वविद्यालय देखने आए थे। रामनाथ कोविंद का राष्ट्रपति पद के लिए चुने जाने के साथ ही बिहार और भागलपुर के लोगों को उम्मीद है कि उनकी सालों पुरानी हसरत पूरी होगी। ये हसरत है भागलपुर के कहलगांव में केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना की। 3 अप्रैल को भागलपुर में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के साथ मौजूद है तब के बिहार के राज्यपाल रामनाथ

दरअसल कहलगाँव में विक्रमशिला के बगल में केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में की थी। 3 अप्रैल को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी इस बाबत केंद्र सरकार से बातचीत करने का भरोसा दिया था और विक्रमशिला के गौरव को फिर से कायम करने की बात कही थी। उस वक्त भावी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी मौजूद थे। इसी वजह से यहां के लोगों को उनसे भारी उम्मीद है कि एक बार राष्ट्रपति बन जाने के बाद वे इस सपने को पूरा करेंगे। 3 अप्रैल को राष्टपति प्रणब मुखर्जी के साथ इन्होंने विक्रमशिला महाविहार के खुदाई स्थल और म्यूजियम को बड़े शौक से 40 मिनटों तक पैदल घूम घूम कर देखा और एक एक चीज की जानकारी ली। राज्यपाल की हैसियत से भी वे विक्रमशिला पहली दफा ही आए थे। पुरातत्व महकमा के अधिकारियों ने राष्ट्रपति की जिज्ञासा देखते हुए यहां के बारे में कई बातें संक्षेप में बताई थी। जिसे रामनाथ कोविंद ने भी साथ साथ चल कर बड़े चाव से जाना। विक्रमशिला विश्वविद्यालय के खंडहर का जायजा लेते राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, साथ में मौजूद हैं रामनाथ

विक्रमशिला विश्वविद्यालय भागलपुर के कहलगांव अंतीचक में है। इसके इतिहास की जानकारी सन 70 के दशक में खुदाई के दौरान मिली। यह कभी पूरे भारत में शिक्षा के प्रमख केंद्रों में से एक था। आठवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में पाल वंश के शासक धर्मपाल ने इसकी स्थापना की थी। यह धर्म और अध्यात्म की ऊंचाई पर तकरीबन चार शताब्दी तक ख़ास अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक केंद के रूप में जाना गया। बौद्ध ग्रंथों में भी इसका जिक्र प्रमुखता से है। तिब्बती इतिहासकार भी इसकी मान्यता देते है। लेकिन समय के चक्र के साथ इस विश्वविद्यालय का गौरव अतीत के पन्नों में दब गया। अब बिहार समेत दुनिया भर के इतिहास प्रेमियों को उम्मीद है कि केन्द्र सरकार कहलगांव में विक्रमशीला विश्वविद्यालय के गौरव के स्तर का ही एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना करेगी।

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