Friday, March 29, 2024
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चीनी अखबार ने अजीत डोभाल को बताया डोकलाम विवाद का “मुख्य योजनाकार”

SI News Today

चीन की सत्ताधारी पार्टी के अखबार में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को “मुख्य योजनाकार” बताया गया है। चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स में मंगलवार (25 जुलाई) को छपे संपादकीय में अजीत डोभाल को डोकलाम में दोनों देशों के बीच जारी गतिरोध का “मुख्य योजनाकार” बताया गया है। अजीत डोभाल 27 जुलाई को दो दिवसीय दौरे पर चीन पहुंचेगे। डोभाल ब्रिक्स देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक में शामिल होने जा रहे हैं। ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है, “चीन और भारतीय सैनिकों के बीच जारी ताजा गतिरोध के पीछे की योजना बनाने वालों में अजीत डोभाल को सबसे अहम माना जा रहा है।” अखबार ने लिखा है कि “भारतीय मीडिया को डोभाल के चीन दौरे से बहुत उम्मीदें हैं।”

चीन में मीडिया आजाद नहीं हैं। मीडिया पर सरकार का पूरी तरह नियंत्रण है। जून पहले हफ्ते से चीन द्वारा भूटान के डोकलाम में सड़क निर्माण के प्रयास को लेकर शुरू हुए विवाद के दरम्यान चीनी मीडिया में भारत के खिलाफ लगातार भडकाऊ बयान छप रहे हैं। चीनी मीडिया बार-बार भारत को युद्ध की धमकी दे रहा है। मंगलवार को भी ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय में लिखा कि “भारत किसी भ्रम में न रहे।” सोमवार (24 जुलाई) को चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था कि चीन की सेना को हिलाना पहाड़ को हिलाने से भी मुश्किल है। चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि अगर डोकलाम में भारतीय सैनिक पीछे नहीं हटे तो चीनी सेना को आगे बढ़ने का फैसला लेना पड़ेगा।

हालांकि सोमवार को ही चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय बातचीत की संभावना को बरकरार रखा। चीन दौरे में डोभाल चीनी एनएसए यांग जीची से मिलेंगे। इससे पहले चीन ने कहा था कि “जब तक भारत डोकलाम में अपने सैनिक पीछे नहीं हटाएगा तब तक दोनों देशों के बीच सार्थक बातचीत संभव नहीं है।” वहीं भारतीय विदेश मंत्री ने संसद में दिए बयान में कहा है कि चीन और भारत दोनों को एक साथ डोकलाम से अपनी सेनाएं हटानी चाहिए।

चीनी मीडिया इससे पहले भारत को 1962 के युद्ध का सबक याद रखने के लिए कहा था। जिस पर भारतीय रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि भारत अब 1962 वाला देश नहीं है। डोकलाम में तीन देशों (भारत, तिब्बत और भूटान) की सीमाएं मिलती हैं। चीन डोकलाम को अपना डोंगलॉन्ग इलाका बताता है। चीन इस इलाके में भारी सैन्य वाहनों के आवागमन लायक सड़क बनाना चाहता है। भारत का कहना है कि दोनों देशों के बीच इस इलाके में  यथास्थिति बनाए रखने पर पहले ही सहमति बन चुकी है और चीन के सड़क निर्माण से ये स्थिति बदल जाएगी।

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