Friday, March 29, 2024
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जेटली! आर्मी किसी भी हालात से निपटने के लिए तैयार

SI News Today

नई दिल्ली: चीन के साथ डोकलाम में जारी सीमा विवाद के बीच रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को संसद में बताया कि भारतीय सेना किसी भी आकस्मिक हालात से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है। जंग के हालात में गोला-बारूद की कमी का दावा करने वाली कैग की रिपोर्ट पर जेटली ने कहा, ”अगर गोला-बारूद के भंडार में कोई कमी है तो इसे जल्द पूरा कर लिया जाएगा।” रिपोर्ट में कैग ने आर्मी को गोला-बारूद की सप्लाई को लेकर ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड (OFB) पर सवाल उठाए थे। जिम्मेदार अफसरों पर हो सकती है कार्रवाई…

– जेटली ने आगे कहा, ”रिपोर्ट को संसद में रखे जाने के बाद इसे लेकर पब्लिक अकाउंट कमेटी (PAC) के पास जाएंगे। अगर कमेटी इसे लेकर कोई सुझाव देती है तो जरूरी कदम उठाए जाएंगे।”

– इस सवाल पर कि क्या कैग रिपोर्ट के मुताबिक, गोला-बारूद के भंडार में कमी के लिए जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई होगी? जेटली ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो कार्रवाई की जाएगी।

– जेटली के जवाब के दौरान एक सांसद ने गोला-बारूद के मात्रा और अन्य जानकारियां जाननी चाही। इस पर रक्षा मंत्री ने कहा कि इसका खुलासा करना देश की जनता के हित में नहीं है।

कैग रिपोर्ट में क्या है?
– कैग (Comptroller and Auditor General of India) ने 22 जुलाई को आर्मी के गोला-बारूद की स्थिति पर संसद में फॉलोअप ऑडिट रिपोर्ट पेश की। इसके मुताबिक, फौज के पास बेहद कम गोला-बारूद बचा है। अगर आर्मी को जंग करनी पड़ जाए तो इस्तेमाल किए जाने वाले असलहों (हथियार और दूसरे सामान) में से 40% तो 10 दिन भी नहीं चल पाएंगे। 70% टैंक और तोपों के 44% गोलों का भंडार भी 10 दिन ही चल पाएगा।

– जबकि नियम है कि कभी भी जंग के लिए तैयार रहने की खातिर आर्मी के पास 40 दिन लायक गोला-बारूद का भंडार होना चाहिए। यह हालत तब है, जब दो साल पहले मई 2015 में भी कैग ने आर्मी के कम होते गोला-बारूद के भंडार पर डिटेल रिपोर्ट संसद में रखी थी। सीमा पर चीन-पाकिस्तान की चुनौतियों के बीच यह रिपोर्ट खतरे की घंटी की तरह है।

– कैग ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि तीन साल बाद भी जंग के लिए जरूरी भंडार रखने के लिहाज से कोई खास सुधार नहीं आया। मार्च 2013 के बाद भी सेना के गोला-बारूद भंडार में गंभीर कमी और ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड की तरफ से सप्लाई किए गए गोला-बारूद की क्वालिटी में कोई खास सुधार नहीं आया।

तोपों के लिए फ्यूज अब भी 83% कम
– रिपोर्ट के मुताबिक तोपों में इस्तेमाल होने वाले फ्यूज की आर्मी के पास बहुत ज्यादा कमी है। आर्मी ने बिना कोई तैयारी किए मैनुअल के बजाय इलेक्ट्रॉनिक फ्यूज पर शिफ्ट होने का फैसला कर लिया था। 2015 की रिपोर्ट में 89% फ्यूज कम थे। तीन साल बाद भी 83% फ्यूज की कमी बनी हुई है।

88% गोला-बारूद सिर्फ 5 दिन की ट्रेनिंग में खत्म हो जाएगा
– रिपोर्ट में कहा गया है कि न सिर्फ जंग, बल्कि सैनिकों की ट्रेनिंग के लिए जरूरी गोला-बारूद का भी भंडार कम है। 2015 में 91% गोला-बारूद 5 दिन से भी कम चलने वाला था। अब 88% गोला-बारूद पांच दिन से भी कम वक्त ही चल पाएगा।

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