Friday, March 29, 2024
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अखाड़े में ताल ठोकती महिला पहलवान

SI News Today

लखनऊ: यह महिलाओ की कुश्ती का प्रचलन सदियों पुराना है और आप को यह आज के दिन अखाड़े में महिलाय ताल ठोकती नजर आय गी ।
और बाहर ढोल मजीरे बजाकर अपने-अपने पहलवानों में जोश बढ़ाती महिलाओं का समूह। अखाड़े के आस-पास रेफरी भी महिला तो देखने वाली महिलाएं। इतना ही नहीं सुरक्षा की कमान भी महिलाओं के जिम्मे रहती है।ऐसा ही कुछ नजारा मिलता है देखने को लखनऊ से बस सटे हुवे  गोसाईगंज के अहिमामऊ मे और जिसे यह लोग ‘हापा’ कुश्ती दंगल के नाम से जानते है

यहां पूरे परंपरागत रुप से दंगल का आयोजन हुआ। महिलाओं का यह दंगल नाग पंचमी के अगले दिन आयोजित किया जाता है। यहां होने वाले इस दंगल में आस-पास के जिलों की सैकड़ों महिलाएं शामिल होने के लिए आई थी। इस खेल के आसपास पुरुषों को फटकने की भी इजाजत नहीं थी। इसके लिए महिलाओं की विशेष टोली तैनात की गई थी। जो पुरुषों को अखाड़े के करीब नहीं आने दे रही थी। ‘हापा’ की शुरुआत रीछ देवी, गूंगे देवी व दुर्गा जी की पूजा के बाद भुइयां देवी की जयकारा लगा कर की जाती है। इसकी शुरुआत के पीछे समाज में महिला की दबी कुचली स्थिति को सुधारने व महिलाओं के मनोरंजन के लिए करीब 200 वर्ष पूर्व की गई थी। उस समय अहिमामऊ एक छोटी सी रियासत थी।

यहां के नवाब की बेगम नूरजहां व कमर जहां ने महिला कुश्ती का अनूठा आयोजन कराया था। जिसे ‘हापा’ नाम दिया गया। महिलाओं की स्थिति को सुधारने के लिए रियासत की बेगम ने ताकत के इस अनूठे खेल का आयोजन किया। इसकी तैयारी भी महिलाएं ही कराती हैं। इस आयोजन में पुरुषों से कोई मदद नहीं ली जाती। वर्षों पुरानी इस परंपरा को आज अहिमामऊ की पूर्व प्रधान मीना कुमारी कायम रखी हैं। विनय कुमारी ने बताया कि मैं 18 वर्ष की उम्र से ‘हापा’ की जिम्मेदारी निभा रही हूं। उन्होंने बताया कि इससे पहले उनकी अजिया सास बेगम के घर नौकरी करती थी। जहां पर उन्होंने ‘हापा’ की कमान सौंपी थी। सास जनाका से उनकी सास बिलासा को और बिलासा से विनय कुमारी को ‘हापा’ की जिम्मेदारी मिली।

सरसवा निवासी सूबेदार की बुजुर्ग मां शकुंतला देवी सिंह का कहना है कि हापा में महिलाएं सोलह श्रंगार करके शामिल होती हैं। ऐसी मान्यता है कि महिलाओं के श्रंगार कर ‘हापा’ में शामिल होने से देवी प्रसन्न होती हैं।

‘हापा’ से जुड़ी एक मान्यता यह भी है कि दंगल के बाद यहां की धूल माथे पर लगाने से भूत-प्रेत से ग्रसित इंसान को राहत मिलती है। इस मान्यता के चलते दूर दराज से लोग ‘हापा’ की धूल लेने अहिमामऊ आते हैं।

हापा की आयोजक मीना कुमारी ने बताया कि दंगल में पुरुषों का प्रवेश एकदम वर्जित है। इतना ही नहीं 2 वर्षों से अधिक उम्र का बच्चा भी हापा में प्रवेश नहीं कर सकता। हापा में महिलाओं के साथ सिर्फ गोद के बच्चे ही अंदर जा सकते हैं। हापा के अंदर की सुरक्षा महिला सिपाही करती हैं। बाहर की सुरक्षा स्थानीय पुलिस करती है। थाना प्रभारी बलवंत शाही ने बताया कि ‘हापा’ में सुरक्षा के लिए एक महिला दरोगा सहित दो महिला सिपाही मौजूद रहीं। ‘हापा’ के बाहर की सुरक्षा के लिए थाना प्रभारी स्वयं चौकी इंचार्ज अहिमामऊ के साथ मौजूद थे।

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