भारतीय जनता पार्टी ( भाजपा) के अध्यक्ष अमित शाह ने सोमवार (31 जुलाई) को राज्यसभा में पार्टी सांसदों की अनुपस्थिति को गंभीरता से लिया और सदस्यों से कहा है कि ऐसा दोहराया न जाए। यह बात मीडिया वालों को केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार ने बताई। मिल रही जानकारी के मुताबिक, भाजपा राज्यसभा में अनुपस्थित रहे सांसदों से सफाई मांग सकती है। दरअसल, सोमवार को मानसून सत्र में राज्य सभा में सरकार के संविधान संशोधन विधेयक के एक महत्वपूर्ण प्रावधान को हटाना पड़ा क्योंकि उसके पर्याप्त सांसद सदन में नहीं मौजूद थे। सरकार ने नेशनल कमीशन फॉर बैकवर्ड क्लासेज (एनसीबीसी) को संवैधानिक दर्जा देने के लिए संविधान संशोधन बिल पेश किया था। कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने सरकार पर निशाना साधते हुए लिखा कि सरकार मामले को लेकर ना तो तैयार थी और ना ही सीरियस थी। इस वजह से एनडीए के कुल 78 विधायकों की वजह से बीजेपी की भी किरकिरी हुई।
संविधान संशोधन (123वां संशोधन) विधेयक 2017 में क्लॉज 3 को हटाना पड़ा जो कमीशन के संगठन से जुड़ा हुआ था। राज्य सभा में इस क्लॉज के अस्वीकार हो जाने का मतलब हुआ कि सरकार को फिर से लोक सभा में इसके लिए नया विधेयक पेश करके पारित कराना होगा और फिर उसे राज्य सभा में पारित कराना होगा। ये विधेयक संविधान संशोधन विधेयक था इसलिए इसे पारित कराने के लिए दो-तिहाई वोट चाहिए थे। लेकिन सांसद उपस्थित नहीं थे।
सदन के सभापति ने कई बार याद दिलाया कि एक बार विधेयक गिर गया तो उसकी पूरी प्रक्रिया फिर से शुरू करनी होगी। सभापति ने ये भी कहा कि विधेयक को पारित कराने की एक ही सूरत है कि सदन में मौजूद सभी सांसद एकजुट होकर उसका समर्थन करें। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच एका बनाने के लिए सदन की कार्यवाही को कुछ मिनटों के लिए स्थगित किया गया। लेकिन आखिरकार सत्ता पक्ष के पर्याप्त सांसदों के न होने के कारण विधेयक पारित नहीं हो सका।