लखनऊ: प्रदेश में लड़कियों, महिलाओं की चोटी काटने की घटनाओं को लेकर सक्रिय हुई खुफिया इकाइयां इस बात का पता भी लगाने में जुटी हुई हैं कि कहीं यह किसी नियोजित साजिश का हिस्सा तो नहीं? जिस तरीके से ऐसी घटनाओं का दायरा बढ़ता जा रहा है, उससे ऐसी आशंकाओं को बल मिला है। पुलिस को भी इस बात के निर्देश दिए गए हैं कि वह ग्राम सुरक्षा समितियों के सहारे न सिर्फ लोगों का मनोबल बढ़ाए, बल्कि इसकी सुरागरसी में भी लगे।
चोटी काटने की सर्वाधिक घटनाएं पश्चिमी प्रदेश में हुई हैं लेकिन, अब पूर्वाचल के जिले भी इसके दायरे में आ रहे हैं। पिछले 24 घंटे में चोटी कटने के 110 मामले और प्रकाश में आए। इसमें सबसे बड़ी चुनौती कानून व्यवस्था बनाए रखने की है, इसीलिए पुलिस तंत्र अधिक सक्रिय है। हालांकि अभी भी पुलिस के अधिकांश निर्देश संभावनाओं पर ही टिके हुए हैं क्योंकि दुश्मन (चोटी कटवा) को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं हो पा रही है।
डीजी इंटेलिजेंस भवेश कुमार सिंह अभिसूचना इकाइयों को इन घटनाओं की असलियत का पता लगाने को कहा है सिविल डिफेंस, एनसीसी और कम्युनिटी पुलिस से जुड़े डिजिटल वालंटियर से जुड़कर सच्चाई का पचा लगाने में जुटे हैं।
चोटी काटने की जितनी अधिक घटनाएं हैं, उससे अधिक अफवाहें सोशल मीडिया पर नजर आती हैं। पुलिस के लिए सबसे अधिक समस्या इस तरह की अफवाहें हैं। इनकी वजह से कई जगह महिलाओं से मारपीट की घटनाएं हो चुकी हैं। पुलिस ने तीन घटनाओं में प्राथमिकी भी दर्ज की है।
एक दिन पहले पुलिस महानिरीक्षक (कानून व्यवस्था) हरीराम शर्मा ने अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बात कही थी और पश्चिमी यूपी में एक व्यक्ति को गिरफ्तार भी किया गया है, लेकिन इस पर अंकुश नहीं लग पाया है। हालांकि अफवाहों पर नियंत्रण के आदेश सभी जिलों में भेजे गए हैं।