लखनऊ: रास्तों में गंदगी के ढ़ेर और अटी नालियां गांवों की मजबूरी बनी है। स्वच्छ भारत अभियान अधिकतर गांवों में दम तोड़ता दिखता है। ग्रामीण अपने बूते ही स्वच्छता बनाए रखें अलग बात है वरना गांवों में नियुक्त सफाईकर्मिेयों के भरोसे अभियान का सफल हो पाना मुमकिन नहीं है। दरअसल ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादातर सफाई कर्मियों से स्वच्छता के बजाए अन्य काम लिया जा रहा है। राशनकार्ड सत्यापन, सर्वे और मतदाता सूची तैयार कराने से लेकर बीएलओ जैसी जिम्मेदारी भी सफाई कर्मचारी ही संभालते है। इतना ही अधिकारियों की सेवा में भी सफाईकर्मियों को ही लगा दिया जाता है। कुल करीब 90 हजार कर्मियों में से एक चौथाई से स्वच्छता से इतर काम लिया जा रहा है।
यूं भी गांवों में सफाईकार्य व आबादी के मानकों के अनुसार कर्मचारियों की किल्लत है। बसपा शासन काल (वर्ष 2008) में प्रदेश के एक लाख आठ हजार से अधिक राजस्व गांवों में, प्रति गांव एक सफाई कर्मचारी की नियुक्ति की गयी थी लेकिन, वर्तमान यह संख्या घटकर लगभग 96 हजार रह गयी है। जिन गांवों से सफाई कर्मचारी नौकरी छोड़ गया, वहां भी नई नियुक्ति नहीं की गयी।
सफाई कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री रामेंद्र कुमार का कहना है कि कार्यक्षेत्र अधिक विस्तृत होने के कारण भी एक कर्मचारी के सहारे स्वच्छता अभियान कामयाब होना संभव नहीं। कई राजस्व गांवों में अनेक मजरे शामिल होते है। जिनमें आपस की दूरी दो से पांच किलोमीटर तक होती है। ऐसे में एक व्यक्ति द्वारा इतने बड़े क्षेत्र में सफाई कर पाना संभव नहीं। मसलन लखनऊ जिले के गांव समेसी को ही लें। इसमे 28 मजरे शामिल है और 13 स्कूलों में भी सफाई का जिम्मा एक कर्मचारी के जिम्मे है। पंचायतीराज सफाई कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री रामेंद्र कुमार का कहना है कि शहरी क्षेत्र में 10000 की आबादी पर 10 सफाईकर्मी तैनात करने का मानक है।
सफाईकर्मियों को नहीं मिले उपकरण : गांवों में सफाई के लिए कर्मचारी तैनात कर दिए गए परंतु उनको उपकरण नहीं प्रदान किए। कोषाध्यक्ष बंसत सिंह का कहना है कि एक सफाई कर्मचारी से गांवों की सफाई के साथ स्कूल, पशु पैठ, अस्पताल व खलियान आदि में सफाई कराने की अपेक्षा की जाती है। उन्होंने आरोप लगाया कि कर्मचारियों को झाड़ू, फिनाइल, बाल्टी व कचरा ढ़ोने के लिए ट्राली भी उपलब्ध नहीं करायी जाती है। वेतन लेने के लिए प्रधान समेत चार स्थानों पर चक्कर लगाने होते है।
सरकार नहीं करती सुनवाई : महामंत्री रामेन्द्र कुमार का कहना है कि सरकार सफाई कर्मियों की समस्याएं सुनने को तैयार नहीं है। प्रोन्नति का वादा पूर्ववर्ती सरकारों में किया गया परंतु आज तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी। वेतनवृद्धि जैसी मांगों को लेकर पंचायतीराज मंत्री को आठ पत्र लिखे जा चुके है लेकिन, कोई जवाब नहीं आया है। उधर अपर मुख्य सचिव पंचायतीराज चंचल कुमार तिवारी का कहना है कि सफाईकर्मियों की समस्या का जल्द समाधान किया जा रहा है।