सरेराह बिन कपड़ों के कोई दिखे, तो क्या समझेंगे। पागल या सनकी? लेकिन अगर एक साथ नौ हजार लोग नेकेड दिखें, तब क्या कहेंगे। वह भी सारे मर्द। घंटों वे सड़कों पर घूमते हैं। लेकिन कहां? दौड़ाने लगे न दिगाग के घोड़े।
चलिए आपके इस बारे में बता ही देते हैं। दरअसल, जापान में एक खास महोत्सव मनाया जाता है। हदाका मतसूरी (Hadaka Matsuri) नाम का। इसमें लोग (पुरुष) कम से कम कपड़े पहनते हैं। यह कहिए वे नेकेड रहते हैं।
हां, एक खास किस्म का कपड़ा जरूर होता है। जापानी लॉइन क्लोथ (फंडोशी) कहते हैं उसे। जो उनके प्राइवेट पार्ट वाले हिस्से को ढंकता है। यह महोत्सव जापान के अलग-अलग हिस्सों में हर साल मनाया जाता है।
सइदाई-जी एयो हदाका मतसूरी नाम का यह महोत्सव ओकायामा से शुरू हुआ था। 500 साल पहले नौ हजार पुरुषों ने इस में हिस्सा लिया था। वे सभी उस दौरान नेकेड थे। हर साल उसी तरह नौ हजार पुरुष इस महोत्सव का हिस्सा बनते हैं। लेकिन आप सोच रहे होंगे कि वे नेकेड होकर करते क्या हैं।
यह भी बता देते हैं। नेकेड फेस्ट के दौरान शिंटो पादरी भीड़ में कुछ शिंगी (पवित्र लकड़ियां) फेंकते हैं। इन्हें अच्छी किस्मत का प्रतीक मानी जाती हैं। जिस किसी को भी वह लकड़ियां मिलती हैं, वह विजेता होता है। कहा जाता है कि लकड़ियां पाने वाला शख्स अगर उन्हें लकड़ी के डिब्बे में चावल के साथ रखे तो वह साल उसके लिए खुशहाली से भरा होगा।
महोत्सव के दौरान शिंगी (पवित्र लकड़ियां) पाने की उम्मीद में वे घंटों घूमते हैं। पादरी जैसी ही शिंगी भीड़ में फेंकते हैं, वैसे ही उसे पाने के लिए मारामारी मच जाती है। खास बात है कि इसमें कोई भी हिस्सा ले सकता है। दूसरे देशों से आने वाले भी इसमें शामिल हो सकते हैं, बस उन्हें एक लॉइन क्लोथ पहनना पड़ेगा।
ये होते हैं इसमें हिस्सा लेने के लिए नियम –
– लड़ना नहीं होता (शिंगी पाने के मामले में भी)
– अल्कोहल का सेवन नहीं करना होता
– शरीर पर टैटू न हों (अगर हैं, तो उन्हें स्किन कलर वाले टेप से ढंका जाना चाहिए)