Friday, April 19, 2024
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बच्‍चे ही नहीं, मां के लि‍ए भी बहुत फायदेमंद होता है स्‍तनपान कराना

SI News Today

अपने बच्चे को स्तनपान कराना मातृत्व का सबसे खूबसूरत पहलू है। स्तनपान नवजात शिशु के विकास के लिए आवश्यक एक अनिवार्य प्रक्रिया है। जन्म के कुछ समय तक शिशु को केवल मां के दूध का ही सेवन करना होता है। यह उसे लंबे समय तक स्वस्थ रखने में तथा उसके पाचन तंत्र को मजबूत करने में मुख्य भूमिका निभाता है। शिशु के विकास के लिए स्तनपान के अनेक फायदे हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि बच्चे को दूध पिलाना मां के स्वास्थ्य के लिए भी काफी फायदेमंद होता है। स्तनपान केवल आपके बच्चे को सेहतमंद नहीं बनाता है बल्कि यह प्रेग्नेंसी के बाद आपके शरीर के अतिरिक्त फैट को कम करने में भी मदद करता है। इसके अलावा यह महिलाओं में ब्रीस्ट कैंसर का खतरा भी काफी कम करता है।

प्रेग्नेंसी के बाद मां के शरीर में कमजोरी, थकान और चिड़चिड़ेपन का आना स्वभाविक है। कई बार ऐसा होता है जब महिलाएं बहुत जल्द स्तनपान बंद कर बच्चे को बोतल से दूध पिलाना शुरू कर देती हैं। ऐसे में उन्हें यह समझना चाहिए कि स्तनपान न सिर्फ बच्चे की सेहत के लिए बल्कि मां की सेहत के लिए भी काफी लाभदायक होता है। प्रेग्नेंसी के कुछ दिनों तक मां का दूध पीला, गाढ़ा और पोषक तत्वों से भरपूर होता है जो बच्चे के पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देता है। कुछ महिलाएं स्तनपान से अपने स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान को लेकर आशंकित रहती हैं, लेकिन उन्हें यह पता होना चाहिए कि यह उनके शरीर की सेहत के लिए नुकसानदेह नहीं बल्कि लाभकारी है।

एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि ब्रेस्टफीड यानी कि स्तनपान से महिलाओं के शरीर में स्तन कैंसर का खतरा लगभग 25 प्रतिशत तक कम हो जाता है। इसके अलावा यह यूटेरिन और ओवरियन कैंसर के खतरे को भी कम करता है। स्तनपान के दौरान लो एस्ट्रेजन लेवल की वजह से कैंसर संबंधी समस्याओं का खतरा काफी कम हो जाता है। स्तनपान परिवार नियोजन के लिए भी सर्वोत्तम विधि है।

स्तनपान के दौरान महिलाओं में प्रोलैक्टिन हार्मोन का प्रोडक्शन अंडोत्सर्ग की प्रक्रिया को टालने में काफी मदद करता है। साथ ही साथ वह एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरॉन के प्रोडक्शन को भी स्थगित करता रहता है। इससे दो बच्चों के बीच प्राकृतिक रूप से एक उचित अंतराल हो जाता है। एक रिसर्च के मुताबिक जो महिलाएं स्तनपान नहीं करातीं उनमें ओस्टियोपोरोसिस का खतरा भी 4 गुना बढ़ जाता है।

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