Friday, March 29, 2024
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सरकार ने एंबुलेंस कंपनी को भेजा नोटिस…

SI News Today

लखनऊ: प्रदेश की एंबुलेंस सेवा में पांच साल से चले आ रहे एक ही कंपनी के एकाधिकार को समाप्त करते हुए राज्य सरकार ने अब इसके पुनर्गठन की तैयारी कर ली है। नई व्यवस्था के तहत प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में कई कंपनियों को मौका दिया जाएगा और प्रतिस्पद्र्धा के जरिये क्वालिटी सेवा सुनिश्चित की जाएगी। स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने गुरुवार को बताया कि एंबुलेंस सेवा के लिए नए टेंडर की तैयारी कर ली गई है।

प्रदेश में एंबुलेेंस सेवा के संचालन का जिम्मा जीवीके इएमआरआइ कंपनी के पास है। स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि चार महीने से इस कंपनी की सेवा को लेकर लगातार शिकायतें मिल रही थीं। कहीं एंबुलेंस न पहुंचने की शिकायत थी तो कहीं डीजल न होने से सेवा ठप थी। एंबुलेंस की फर्जी सेवा दिखा कर सरकारी विभाग से रकम ऐंठने के मामले भी सामने आ चुके हैं। इसे देखते हुए सरकार ने अब प्रदेश में एक की बजाए कई कंपनियों को जिम्मा सौंपने की योजना बनाई है। सिंह ने बताया कि प्रदेश के मंडलों को समूह (क्लस्टर) में बांट कर प्रत्येक समूह के लिए एक कंपनी का चयन किया जाएगा।

अगले महीने खत्म हो रहा टेंडर
प्रदेश में 108 एंबुलेंस सेवा के तहत 1488 एंबुलेंस संचालित करने के लिए 14 सितंबर 2012 को करार हुआ था। पांच साल के लिए हुआ यह टेंडर अगले महीने पूरा हो रहा है। गर्भवती महिलाओं व बच्चों को एक से दूसरे अस्पताल या अस्पताल से घर पहुंचाने के लिए 102 सेवा के तहत 2270 एंबुलेंस का टेंडर 17 जनवरी 2014 को हुआ था। इसके अलावा एडवांस लाइफ सपोर्ट की 150 एंबुलेंस भी संचालित की जा रही हैं।

टेंडर में शामिल नहीं हो पाएगी कंपनी
स्वास्थ्य विभाग ने एंबुलेंस सेवा संचालित करने वाली जीवीके इएमआरआइ को काम में सुधार लाने के निर्देश के साथ ही टेंडर खत्म करने की चेतावनी का नोटिस भी जारी कर दिया है। स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक कंपनी ने यदि अपने काम में सुधार नहीं किया तो उसे नए टेंडर में हिस्सा भी नहीं लेने दिया जाएगा।

अखिलेश से भी तो पूछिए
स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह से गुरुवार को पत्रकारों ने एंबुलेंस सेवा की बदहाली पर सवाल पूछा तो मंत्री ने यह बात पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से पूछने की सलाह दे डाली। वह बोले- पिछली सरकार ही इसके लिए दोषी है। उन्होंने न तो डॉक्टरों की उपलब्धता के बारे में सोचा और न ही एंबुलेंस सेवा की पुख्ता व्यवस्था कर पाए।

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