Friday, April 19, 2024
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प्रदेश में सस्ती जेनरिक दवाओं के स्टोर खुलने का रास्ता साफ….

SI News Today

लखनऊ: मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) ने पहले से इसके निर्देश जारी कर रखे हैं, लेकिन सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर फिर भी सस्ती मिलने वाली जेनरिक दवाओं की बजाए महंगी ब्रांडेड दवाएं लिख रहे थे। लोग उन पर कमीशन का आरोप लगाते थे, जबकि डॉक्टरों का सवाल था कि हम लिख भी दें तो यह दवाएं मिलेंगी कहां..? अब प्रदेश सरकार ने जेनरिक दवाओं के १००० स्टोर खोलने के लिए केंद्र सरकार के साथ करार करके इसका जवाब दे दिया है।

गुरुवार को प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य विभाग और केंद्रीय रसायन व उर्वरक मंत्रालय के औषधि विभाग के बीच प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना के सहमति पत्र पर हस्ताक्षर होने के साथ ही प्रदेश में सस्ती जेनरिक दवाओं के स्टोर खुलने का रास्ता साफ हो गया है। ये केंद्र प्रदेश के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और जिला अस्पतालों में खोले जाएंगे। अभी इन स्टोर से उपलब्ध कराने के लिए ६०० जेनरिक दवाओं की सूची बनाई गई है, जिसमें १५० सर्जिकल आइटम भी हैं। स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि स्टोर खुलने के साथ ही सरकारी डॉक्टरों को पर्चों पर जेनरिक दवाएं ही लिखने के निर्देश भी दिए जा रहे हैं।

लाल बहादुर शास्त्री भवन स्थित एनेक्सी में एमओयू पर हस्ताक्षर के दौरान मौजूद केंद्रीय रसायन व उर्वरक राज्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने जेनरिक दवाओं की संख्या बढ़ाने का आश्वासन दिया। स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि एक हजार में से ४०० से अधिक केंद्रों का आवंटन हो चुका है।

केंद्रीय मंत्री मंडाविया ने बताया कि सूची में शामिल ६०० में से १५० दवाओं का दाम ब्रांडेड के मुकाबले आधा है, जबकि गुणवत्ता बराबर है। उन्होंने बताया कि अमेरिका में हर पांच में एक भारत की जेनरिक दवा है, लेकिन यहां भारत में ब्रांडेड दवाओं का बाजार जम गया है। उन्होंने बताया कि गरीबों को सस्ती दवा मुहैया कराने के लिए ८०० दवाओं के दाम तय कर दिए गए हैं। इसमें कैंसर की दवा से लेकर हार्ट पेशेंट के स्टेंट तक शामिल हैैं।

पिछली सरकारें नहीं कर पाईं काम
केंद्र से करार के दौरान स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने यह भी बताया कि योजना तो २००८ की है, लेकिन २०१२ तक इसके सिर्फ १४० केंद्र ही खुल पाए। उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों ने सिर्फ कागजों में घोषणा की, जबकि भाजपा सरकार ने योजना को गति देकर देश भर में २५०० जन औषधि केंद्र खोल दिए और इसी क्रम में अब प्रदेश में १००० नए केंद्र खुलने जा रहे हैैं।

चुने गए ५०० सीएचसी व जिला अस्पताल
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि केंद्र खोलने के लिए ५०० सीएचसी व जिला अस्पतालों को चिन्हित किया जा चुका है। बाकी ५०० केंद्रों के लिए भी स्थानों का चयन जल्द होगा। उन्होंने बताया कि इन खुले बाजार में ३४५० रुपये का मिलने वाला कैंसर का इंजेक्शन इन केंद्रों से महज ५४० रुपये में मिलेगा। इसी तरह १७८ रुपये की एंटी बायोटिक दवा ८६ रुपये में और ३९ रुपये की बुखार की टैबलेट सिर्फ २.५० रुपये में उपलब्ध होगी।

बेरोजगार फार्मासिस्टों को प्राथमिकता
जन औषधि केंद्र खोलने के लिए सभी नोडल एजेंसियों को सक्रिय कर दिया गया है और टेंडर भी तैयार हैैं। क्लस्टर के आधार पर यह केंद्र खोले जाएंगे और केंद्रों के आवंटन में बेरोजगार फार्मासिस्टों को प्राथमिकता दी जाएगी। स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि नियम कायदों के तहत प्रदेश के अस्पतालों में कोई कॉमर्शियल गतिविधि संचालित नहीं हो सकती है, लेकिन जन औषधि केंद्र खोलने के लिए इसमें कैबिनेट से संशोधन कराया गया है। प्रदेश में इन केंद्रों का संचालन स्टेट एजेंसी फॉर कॉम्प्रेहेंसिव हेल्थ एंड इंटीग्रेटेड सर्विसेज (साचीज) द्वारा किया जा रहा है।

वेबसाइट से पता चलेगी दवा
जेनरिक दवाओं के लिए सहमति पत्र पर हस्ताक्षर के साथ ही केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया ने जन औषधि परियोजना की वेबसाइट जनऔषधि.जीओवी.इन का भी विमोचन किया। उन्होंने बताया कि इस वेबसाइट के जरिए जेनरिक दवा के स्टोर पता किए जा सकेंगे और यह भी पता चल जाएगा कि स्टोर में कोई खास दवा है या नहीं। वेबसाइट दवाओं के दाम भी बताएगी।

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