Thursday, March 28, 2024
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बीआरडी प्राचार्य की पत्नी के खिलाफ जांच शुरू…

SI News Today

लखनऊ: गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ.राजीव मिश्र को निलंबित करने के बाद अब उनकी पत्नी डॉ.पूर्णिमा शुक्ला के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी गई है। मेडिकल कॉलेज परिसर में स्थित होम्योपैथी रिसर्च सेंटर में सिफारिश से हासिल की गई जिस संबद्धता की बदौलत डॉ.शुक्ला अपनी मूल तैनाती वाले गोला स्थित राजकीय होम्योपैथिक चिकित्सालय से गैर हाजिर रहती थीं, प्रदेश सरकार ने उस संबद्धता को ही निरस्त कर दिया है।

बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत के बाद जिम्मेदार प्रमुख लोगों के जो नाम चर्चा में आए थे, उनमें प्राचार्य की पत्नी डॉ.शुक्ला भी थीं, जबकि व्यवस्था के तौर पर वह औपचारिक रूप से इसमें कहीं शामिल नहीं थीं। ऑक्सीजन का भुगतान रुकने के लिए स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह जिस कमीशन को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, उसके लिए भी प्राचार्य की पत्नी के दखल की बात सामने आ रही है। इसी को देखते हुए आयुष विभाग ने उन पर कार्रवाई शुरू कर दी है।

मार्च में सपा सरकार के अंतिम दिनों में चुनाव नतीजे आने के बाद 14 मार्च को डॉ.शुक्ला ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज परिसर स्थित होम्योपैथी के क्लीनिकल ट्रायल सेंटर में संबद्धता हासिल की थी। आयुष विभाग के संयुक्त सचिव ऋषिकेश दुबे की ओर से अब 13 अगस्त को जारी आदेश के जरिए डॉ.शुक्ला की संबद्धता खत्म कर दी गई है। इसी क्रम में अगले दिन 14 अगस्त को दिल्ली स्थित केंद्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद के महानिदेशक को भी पत्र भेजकर सूचना दे दी गई है, क्योंकि बीआरडी मेडिकल कॉलेज परिसर में खुला केंद्र इसी परिषद का है।

आज होगी डॉ.पूर्णिमा के कार्यों की जांच
शासन की एक टीम डॉ.पूर्णिमा शुक्ला के कार्यों की जांच करने गुरुवार को गोरखपुर जा रही है। जांच टीम में शामिल एक उच्चाधिकारी ने बताया कि सबसे पहले यही देखा जाएगा कि डॉ.शुक्ला को शासन का आदेश मिला या नहीं और उन्होंने गोला स्थित मूल तैनाती स्थल पर काम शुरू किया या नहीं। इसके अलावा टीम उन बिंदुओं को भी खंगालेगी, जिनके आधार पर डॉ.शुक्ला द्वारा विभिन्न खरीद पर कमीशन मांगने की बात कही जा रही है।

पूर्वांचल महिला ब्रिगेड ने की थी शिकायत
यूं तो डॉ.पूर्णिमा शुक्ला के खिलाफ शिकायतों की लंबी-चौड़ी फेहरिस्त होम्योपैथी विभाग के पास है, लेकिन इसमें एक प्रमुख शिकायत पूर्वांचल महिला ब्रिगेड की सिंगेली देवी की है। 1985 में होम्योपैथी विभाग में चिकित्साधिकारी के पद से नौकरी शुरू करने वालीं डॉ.शुक्ल वरिष्ठ चिकित्साधिकारी तो 2016 में बनीं, लेकिन दो दशकों से अधिक समय से वह गोरखपुर में ही हैं। बीच में कुछ समय के लिए उनका तबादला महराजगंज हुआ, लेकिन बाकी समय उनकी तैनाती गोरखपुर की गोला तहसील के राजकीय होम्योपैथिक चिकित्सालय में ही रही।

यहां उनकी ड्यूटी हफ्ते में छह दिन सुबह आठ से दोपहर दो बजे तक ओपीडी में थी, लेकिन वह जाती ही नहीं थीं। अधिकारी बताते हैैं कि ऊंचे संपर्कों की बदौलत उन्होंने केंद्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद की एथिकल समिति में सदस्य पद हासिल किया। फिर भी गोला में गैरहाजिरी की बात उठी तो डॉ.शुक्ला ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज परिसर के होम्योपैथी रिसर्च सेंटर में सितंबर, 2016 में प्रोजेक्ट ऑफीसर का पद ले लिया।

यह अवैतनिक पद था और इस पद का कोई नियमित पूर्णकालिक दायित्व नहीं था, इसलिए मार्च 2017 में गोला के होम्योपैथिक अस्पताल से गैरहाजिर रहने पर उनका चार दिन का वेतन काट कर सेवा बाधित की गई तो इसके जवाब में उन्होंने मार्च में ही रिसर्च सेंटर से संबद्धता हासिल कर ली। इसके बाद वह अधिकारिक रूप से मेडिकल कॉलेज के होम्योपैथी रिसर्च सेंटर में अपनी ड्यूटी दिखाती रहीं, जबकि उनका वेतन गोला के अस्पताल से ही बनता रहा।

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