Friday, April 19, 2024
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शिक्षा मित्रों का धरना प्रदर्शन और आंदोलन जारी रखते हुए शामली में मंत्री का घेराव…

SI News Today

लखनऊ: शिक्षक पद पर समायोजन रद किये जाने से भड़के शिक्षामित्रों को लेकर सरकार के सामने असमंजस की स्थिति बनी हुई है। मुख्यमंत्री के साथ बैठक के अलावा बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव राज प्रताप सिंह के साथ कई दौर की वार्ता के बाद भी कोई ऐसी सूरत नहीं निकली है जो शिक्षामित्रों को मंजूर हो। इस बीच शिक्षा मित्रों का धरना प्रदर्शन और आंदोलन जारी रखते हुए शामली में मंत्री का घेराव किया। इसके अलावा पूरे प्रदेश में बीएसए दफ्तरों में प्रदर्शन जारी रहा। आज उत्तर प्रदेश कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति ने आंदोलन को समर्थन देने का एलान किया है।

शामली में मंत्री का घेराव कर हंगामा
शामली में शिक्षामित्रों ने बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री अनुपमा जायसवाल का घेराव कर जमकर हंगामा किया। शुक्रवार को शामली कलक्ट्रेट में बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री अनुपमा जायसवाल पहुंचीं थी। इससे पहले पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस में मंत्री के आगमन की सूचना पाकर शिक्षामित्रों ने वहां प्रदर्शन करते हुए नारेबाजी की, लेकिन मंत्री सीधा कलक्ट्रेट पहुंच गईं। यहां से समीक्षा बैठक लेकर निकली तो शिक्षामित्रों ने उनकी कार रोककर हंगामा करना शुरू कर दिया। बाद में बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री अनुपमा जायसवाल शिक्षामित्रों का ज्ञापन लिए बिना ही गाड़ी में बैठकर चल दीं। इस पर शिक्षामित्रों ने उनका रास्ता रोक लिया। आखिरकार मंत्री गाड़ी से नीचे उतरीं और पैदल चलकर तहसील गेट के नजदीक रुके शिक्षामित्रों से ज्ञापन लिया। इस बीच पुलिस व शिक्षामित्रों की तीखी नोकझोंक भी हुई।

44 शिक्षामित्रों की मृत्यु पर शोक
कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति की बैठक शिक्षक विधायक ओम प्रकाश शर्मा की अध्यक्षता में रायल होटल में हुई। बैठक में समन्वय समिति के घटक संगठनों के पदाधिकारी भी मौजूद थे। समिति ने आंदोलन के दौरान 44 शिक्षामित्रों की मृत्यु पर शोक प्रस्ताव पारित किया। यह भी निर्णय किया कि यदि राज्य सरकार ने शिक्षामित्रों की मांगें नहीं मानीं तो समन्वय समिति उन्हें न्याय दिलाने के लिए उनके आंदोलन में शामिल होगी। शिक्षामित्र समान कार्य के लिए समान वेतन यानी शिक्षक की तनख्वाह दिये जाने की की मांग कर रहे हैं। समन्वय समिति के अध्यक्ष और उप्र माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष ओम प्रकाश शर्मा ने कहा कि हमने शिक्षामित्रों के मुद्दे को विधान परिषद में उठाया है और आगे भी उच्च सदन में इस लड़ाई को जारी रखेंगे। हालांकि बैठक में यह भी तय हुआ है कि शिक्षामित्र जो भी आंदोलन करेंगे, वह अहिंसात्मक होना चाहिए। बैठक में सुप्रीम कोर्ट के 26 अक्टूबर, 2016 के उस फैसले की भी चर्चा हुई जिसमें शीर्ष अदालत ने समान कार्य के लिए समान वेतन देने का आदेश दिया है।

अवधि बीतते ही फिर आंदोलित
सुप्रीम कोर्ट ने बिना अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) उत्तीर्ण किये सहायक अध्यापकों के पद पर शिक्षामित्रों के समायोजन को रद करने का आदेश 25 जुलाई को दिया था। उसके बाद से ही शिक्षामित्र उग्र होकर आंदोलन करने लगे थे। मुख्यमंत्री के साथ हुई बातचीत के बाद शिक्षामित्रों ने अपना आंदोलन 15 दिनों के लिए स्थगित करने का फैसला किया था। 15 दिन की अवधि बीतने के बाद वह फिर आंदोलित हो गए हैं। शिक्षामित्रों के कार्य बहिष्कार व आंदोलन से परिषदीय विद्यालयों में पठन-पाठन ठप होने से शासन की चिंता बढ़ गई है। शुक्रवार को अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा से उन शिक्षामित्रों के प्रतिनिधियों ने मुलाकात की जो टीईटी उत्तीर्ण हैं। ऐसे शिक्षामित्रों की संख्या लगभग 22 हजार है। यह शिक्षामित्र शिक्षकों की भर्ती के लिए विज्ञापन निकालने की मांग कर रहे थे।

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