लखनऊ: बिजली महंगी करने के प्रस्ताव में सामने आई तीन दर्जन से अधिक कमियों पर विद्युत नियामक आयोग ने पावर कारपोरेशन से एक हफ्ते में जवाब तलब किया है। आयोग ने कारपोरेशन से ग्रामीण विद्युत उपभोक्ताओं की दरों में 253 प्रतिशत और किसानों की दरों में 70 से 88 फीसद की प्रस्तावित वृद्धि का आधार बताने को कहा है। कई अन्य बिंदुओं पर भी स्पष्टीकरण मांगा गया है।
पावर कारपोरेशन व वितरण कंपनियों द्वारा दाखिल किए गए मल्टी इयर टैरिफ (एमवाइटी) के तहत मौजूदा वित्तीय वर्ष में बड़े पैमाने पर दरें बढ़ाए जाने के प्रस्ताव पर नियामक आयोग ने कई सवाल खड़े किए हैैं। आयोग ने पूछा है कि एमवाइटी के तहत जब तीन साल की वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) दाखिल की गई है तो बिजली दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव सिर्फ एक साल के लिए क्यों है। आयोग ने यह भी पूछा है कि उदय योजना के तहत जब 2017-18 से 2019-20 तक के लिए क्रमश: 6.95, 6.80 और 6.60 फीसद वृद्धि का करार किया गया है तो वर्तमान वर्ष में किस आधार पर 22.66 फीसद की औसत वृद्धि मांगी गई है।
आयोग ने तीन साल की वृद्धि एक साथ मांगे जाने पर भी सवाल उठाया है। साथ ही पावर कारपोरेशन से यह बताने को कहा है कि प्रदेश सरकार की ओर से एमवाइटी में कितनी सब्सिडी दी जा रही है। आयोग ने ग्रामीण अनमीटर्ड विद्युत उपभोक्ताओं का टैरिफ 180 रुपये प्रति किलोवाट प्रतिमाह से बढ़ाकर अचानक 650 व 800 रुपये करने का आधार भी बताने को कहा है।
इसी तरह शहरी बीपीएल उपभोक्ताओं का मानक 150 से घटा कर 100 यूनिट प्रति किलोवॉट किए जाने पर भी सवाल उठाते हुए इससे चोरी बढऩे की आशंका जताई और कारपोरेशन से इसे लेकर अपनी योजना बताने को कहा।उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने उम्मीद जताई कि परिषद की ओर उठाए गए इन बिंदुओं पर पावर कारपोरेशन के जवाब से बिजली दर वृद्धि का प्रस्ताव संशोधित होगा और उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी।